रचनाओं की सूची
अ
- अकेले ही मुझको जो तड़पा रहे हैं
- अंग्रेजिक बस एक हव्वा हय (अवधी कविता)
- अंग्रेजी वाले साल की
- अजनबी भी अपना हो सकता है
- अजन्मी बेटियां
- अजब अजब सी रविश मिली है
- अटल बिहारी वाजपेई
- अतीत के गवाक्ष में नारी
- अंधविश्वास का मायाजाल
- अंधियारा कब तक जीतेगा
- अंधेरा अंदर नहीं बाहर है
- अनाम रिश्ते
- अनुभूति
- अन्तर्घट रीता का रीता
- अन्न कय सम्मान करव(अवधी कविता)
- अपना आकर्षक और सुंदर पूर्वांचल क्षेत्र
- अपना बनाया क्यों,
- अपनी भाषा में प्यार
- अपने आप को पहचानो
- अपने कोमल चरण को बढ़ा दीजिए
- अपने ही पेश आ रहे अनजान की तरह
- अपने हौसलों से उड़ान भर लूंगा
- अपनेन बूते मंगलसूत(अवधी कविता)
- अपनों से
- अब अपने किरदार से, इंसाफ कर दिया जाए
- अब कली कोई चुननी नहीं है
- अब कोई खिलता नहीं है गुल मेरे गुलदान में
- अब तैयारी है
- अब तो यह याद भी नहीं आता
- अब बहारें भी
- अभाव की पुत्री (चिंता )
- अभी तो उसके इतराने के दिन हैं
- अभी तो शाम बाकी है
- अभ्युदय मिलन का
- अमर प्रेम का दीप जलाना
- अमावस (दीपावली )
- अमृत
- अम्मा सिरका लिहिउ सजाय
- अम्मा हमार
- अम्मा हमार(अवधी कविता)
- अलख जगाता रहता हूं
- अलविदा कहकर
- अलाव
- अवध किशोर के महल में चलों खेलें होली
- अवध किशोर के महल में चलों खेलें होली
- अश्क छिपाकर हँस देते हैं
- असफलता सफलता के लिए जरूरी है।
- अहम का नशा
आ
- आ गया मधुमास फिर से
- आ रहा है फिर से चुनाव
- आइस पाइस गुल्ली डंडा(अवधी कविता)
- आओ रंग जाए एक ही रंग में
- आओ हम सब दीप जलाएँ
- आखिर क्यों
- आंखों का सागर
- आंखों का सागर
- आंखों की भी अब अपनी मर्जी होने लगी है
- आंखों में तुझको देखा है
- आग
- आंगन के फूल
- आगोश
- आज नहीं, कल रोयेगा
- आज महफिल दिलों की सजा लीजिए
- आज महफिल दिलों की सजा लीजिए
- आज से बस मेरी हो
- आज से बस मेरी हो
- आजादी
- आजादी की कीमत
- आंतरिक शक्ति
- आत्महत्या ?
- आधुनिक नारी
- आपका आँचल
- आभूषण
- आया बसंत झूम कर
- आया है नव वर्ष
- आया है बसंत
- आरजू
- आवाज उठाओ
- आशिक़ी
- आसमा जब अहम का झुक जाएगा
इ
उ
ए
- एक एक ग्यारह बने
- एक ऐसा घर बन जाए मेरा
- एक कप कॉफ़ी
- एक ख़त पुराना
- एक गीत लबों पर आया है
- एक गीत-नारी के सम्मान में
- एक चाँद रिश्ते हज़ार रखता है
- एक जीवन चूक गया
- एक ताज़ा ग़ज़ल -यादों के आईनों में रह जाते हैं
- एक दिन
- एक दिन आयेगा
- एक पल
- एक पाती फिर हमारे नाम लिखना !
- एक प्रार्थना
- एक बार धर कर
- एक महिला से हर रिश्ता
- एक मुट्ठी धूप लाया हूँ
- एक राह ऐसी भी
- एक सुनहरी शाम
- एक होली ऐसी भी (कथालेख)
- एकता और सद्भाव की टोली- होली
- एकता और सद्भाव की टोली- होली
- एकाकार
- एकाकार
- एहसास
क
- कंचन के कंगन की किकिंणि की खनकार
- कठिन है रास्ता लेकिन
- कफ़न (प्रेमचंद)
- कफ़न तिरंगा
- कब तक पाठ शान्ति का हमको
- कब तक पिंजड़े में तड़पते रहेंगे
- कभी एहसास लफ़्जों में कभी कुछ गीत शब्दों में
- कभी जब मन करे तेरा
- कभी देखा है?
- कभी मिलो तुम
- कभी हंसते हुए दिल को तो रुलाया ना करो
- कम लिखना भी बहुत कठिन है
- कमजोर
- करुण वेदना की बेदी पर अमर प्रेम का दीप जलाना
- करें बाँहों में बल
- कर्म और उसके फल
- कर्म कर फल की चिंता मत कर
- कल तक तो चांद चमकता था,
- कल,आज और फिर कल
- कलम हमारी बोली
- कलियों का मानव से निवेदन
- कली खिलना चाहती है
- कविता
- कविता का औघड़
- कविता पढ़ने – लिखने से
- कविताएँ
- कहाँ हो तुम?
- कान्हा तोहार मुरलिया
- कान्हा संग खेलें होली
- कान्हा संग खेलें होली
- काफिला
- कारवां
- काश कभी ऐसा हो जाता
- कितनी होती कठिन प्रेम की साधना
- किनारा कर लिया मैंने
- किस सोच में ये डूबा व्याकुल है ये जमाना
- किससे किसकी यारी है
- किसान की पीड़ा
- किसान दिवस
- किसी की निगाह में
- कीर्ति-बीज बो जाएँ !
- कुछ और(गज़लें)
- कुछ कहना है
- कुछ खोया ,कुछ पाया
- कुछ गजलें
- कुछ तो रोक रहा है
- कुछ पंक्तियां
- कुछ रिश्ते ऐसे देखे हैं
- कुर्बान-ए-आजादी
- कुसुम खिलाना है
- केतु के हाथ में साल 2023 में सफलता की चाबी
- केवट रीझा रहा है
- केवल वंचना है!
- कैकई तुम उदास मत होना
- कैसी है माया(दोहें)
- कैसे बताउँ यार
- कैसे सुधरेंगे हालात
- कोई अपना हो ना सका
- कोई तो ऐसी रैन मिले
- कोई तो करता मुझसे प्यार
- कोई मौसम हो
- कोहरा
- क्या कंप्यूटर शिक्षकों की जगह ले सकता है
- क्या करूँ कैसे बताऊँ
- क्या चाहिए था
- क्या मुश्किल है
- क्या रखा है मायूस होने में
- क्या से क्या हो गया
- क्या हो सकते हैं महान?
- क्षमाप्रार्थी हूँ मां !
ख
- ख़त
- खनक रहे सिक्के!
- खान पान पर धई लेव ध्यान
- खिदमत-ए- हिंद में
- खिलता है कहीं एक फूल
- खुद अपनी तकदीर बनाएंगे
- खुद को सरल-स्वीकार्य बनाएं
- खुद सा होना
- खुला आकाश सारा
- खुशियाँ
- खुशी –खुशी से मेरी जिंदगी
- खुशी –खुशी से मेरी जिंदगी
- खेल तमाशा सा जीवन है
- ख़ैरियत
- खो गए हैं
- खोया पाया
- ख्याब
- ख्वाब
- ख्वाब का एक महल अब बनाने लगे
- ख्वाबों की तन्हाई भी
- ख़्वाबों में आना छोड़ दो
ग
- गंगा माँ
- गज़ल
- गज़ल-अक्सर मुझे आज़माने की खातिर
- गज़ल-एक पत्थर और मारो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं ।
- गज़ल-ऐसा तो कुछ नहीं कि मर ही जाएं ख़ुशी से
- गज़ल-कोई नयी शुरुआत हो
- गज़ल-दिले नादान ये हलचल कहाँ से
- गज़ल-धूप का पर्वत खड़ा है सामने
- गज़ल-बाखब़र होके मगर सोता रहा
- गज़ल-बेपर हुए
- गज़ल-मुसलसल गम मेरे हालात में है
- गज़ल-शबनमी शोले वस्ल-ए- शबाब और क्या क्या
- गज़ल-शाख से टूटा है, क्या जाने किधर जायेगा
- गज़ल-सामने जो बहुत मीठा बोलता है
- ग़ज़ल:-अगरचे हौसला . मिट जायेगा
- ग़ज़ल:-अभी तो शाम बाकी है
- ग़ज़ल:-ज़ब दिल दिल से मिलता है
- ग़ज़ल:-तुम्हारी यादों की रोशनी में
- ग़ज़ल:-दीवारो-दर से जिसकी सदा गूँजती रही
- ग़ज़ल:-बहकना है यार बाकी
- ग़ज़ल:-मुहब्बत आजमाना चाहता है
- ग़ज़ल:-साँस लेता सदन अब रहा ही नहीं
- ग़ज़ल:-हर खुशी ही रेत सी
- गणतंत्र दिवस
- गणतंत्र दिवस
- गणतंत्र दिवस हमारा
- गणित सेट -1 (CTET& सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी)
- गणित सेट -2 (CTET& सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी)
- गमे रुसवाई
- गर्व से बिहारी हैं
- गाँव जा रहा हूँ
- गाँव बन गया है ग्लोबल
- गीत
- गीत तू
- गीत-आईना बता तू
- गीत:-साथ निभाए वही मीत है
- गुंडा (जयशंकर प्रसाद)
- गुनगुनी धूप में
- गुमसुम उदास सी बैठी हो
- गुरु का व्यक्तित्व
- गुरु परिचय
- गुरुदेव को विनम्र श्रद्धांजलि
- गुलाबी होली
- गोनू झा के किस्से
- गोपाल तेरे चरणों में
- गोपियों का विरह वर्णन
- गोपियों की निराशा
- गोरी रंग लेकर आई
- गौरा के संग विराज रहे हैं
- ग्यारह दोहें
- ग्यारह दोहें-तुम राधा मनभवनी , मैं तेरा घनश्याम
घ
च
- चक्रव्यूह
- चल मनोरमे एक उम्र पूरा हुआ
- चलता चल ये यार मुसाफ़िर
- चलता पागल पांव हमारा
- चलो कोई सिप सीखा जाय(अवधी कविता)
- चहक रहा हो तन मन सारा
- चाँद के सब अफ़साने हैं
- चाँदनी के लिए
- चांदनी रात
- चाँदी के फूल
- चार पैसा कमाने शहर जो गया
- चार पैसे की जिंदगी
- चार साहबजादे
- चाररोजा ज़िन्दगी में क्यों भला तकरार हो?
- चाहत आगे बढ़ने की हो
- चाहते तो तुम भी हो
- चाहतें थीं दिल में जो
- चिड़िया
- चिड़ियाँ रानी
- चिराग आंधियों में अब जलाएगा कौन
- चुपके चुपके
- चेतना संदेश
- चेहरा रह जाता है
- चेहरे
- चेहरे कितने रूपहरे
- चॉक का टुकड़ा (संस्मरण )
ज
- जख्म मेरे दिल को वह गुलाब दे गया
- जख्म मेरे दिल को वह गुलाब दे गया
- जग की प्यास
- जताने की ज़रूरत क्या है
- जन्म से लेकर मृत्यु तक
- जन्मदिन
- जब तक दूध दिहिन भर लोटा
- जब मन में
- जब हवाओं में है आग की-सी लहर
- जबसे हुए हैं शिक्षित
- जरा सी गुफ्तगू कर लो
- जल ही जिंदगी है
- जल है तो कल है
- जलती रही मसाल
- जाग मनुज अब
- जान बची तो लाखों पाये
- जानकी से बोले महावीर
- जाना मेरा तय है
- जाने क्यों अकसर लगता है
- जिजीविषा
- जिंदगी
- ज़िंदगी
- जिंदगी एक जैसी गुजरी हो
- ज़िंदगी की किताब के पन्ने
- जिंदगी की शाम
- ज़िंदगी के प्राथमिक रंग
- जिंदगी ख्वाब है
- जिंदगी में गम है क्यूं
- ज़िंदगी राहों सी हो गई है
- ज़िन्दगी
- ज़िन्दगी का अर्थ
- जिन्दगी का रहस्य पता ही नहीं
- जिन्दगी का रहस्य पता ही नहीं
- जिन्हें अपना समझ रखा था
- जिसने छोड़ा खुद को
- जी नहीं लगता कहीं पर क्या करें (गज़ल)।
- जी हाँ मैंने देखा हैं
- जीना सीखा है
- जीने की राह
- जीने की राह
- जीवन
- जीवन आज अभी में जी लें
- जीवन की ओर
- जीवन की सच्चाई
- जीवन के दिन चार बन्धुवर
- जीवन के मार्गदर्शक :पिता
- जीवन तुझपर वार दूँ
- जीवन तुम बिन
- जीवन तेरा मुस्कुराता रहेगा
- जीवन मृत्यु के द्वंद युद्ध में
- जो खो गई हैं चाहतें
- जो बदन थी
- जो संसार में पिता कहलाता है
- जोगीरा
- ज्ञान
- ज्ञान दायिनी हे मातु(घनाक्षरी)
- ज्ञानविविधा :- वर्ष-1,अंक-2-मार्च-2024
- ज्ञानविविधा :-अप्रैल-जून-2024
- ज्ञानविविधा :-अप्रैल-जून-2024
- ज्ञानविविधा :-मार्च-2024
- ज्ञानविविधा (प्रवेशांक-जनवरी-2024)
- ज्ञानविविधा (प्रवेशांक) :-जनवरी 2024
- ज्योतिर्मान है हिंदी
झ
त
- तकरार होली में
- तन-मन-धन(घनाक्षरी)
- तनहा तनहा सफ़र लगने लगा है
- तब कहीं जाकर
- तब से दिल में नमी ही नमी है
- तभी मानवता रोती है
- तमन्नाएं
- तमसो मा ज्योतिर्गमयः
- तरही ग़ज़ल-मुझसे इतना तो राबता रखता
- तसब्बुर में तेरे रहा उम्र भर
- ताँका
- ताँका की विश्व में प्रथम पुस्तक
- तारीखों पर टंगी यादें
- तारीफ
- तिरंगा
- तु क्यों है परेशान
- तुम फिर दबे पाँव आना
- तुम मिले ऐसे
- तुम वक्त सी निरंतर मुझमें चलती हो
- तुम वीणा तुम बांसुरी(दोहें)
- तुम सदा ही जियो इस वतन के लिए
- तुम, मैं और हम
- तुमने फिर से बना लिए नए किरदार
- तुम्हारा जब से सजदा कर लिया है
- तुम्हारी उम्र
- तुम्हारी नज़रों के सामने
- तुम्हारी बेख़ुदी के हम कभी तो राज़दाँ होंगे
- तुम्हारी याद
- तुम्हारी याद
- तुम्हारी याद आई तो है
- तुम्हारी याद!
- तुम्हारी राह में(ग़जल)
- तुम्हारे दिल में रहा करूंगा
- तुम्हारे दिल में रहा करूंगा
- तुम्हारे बिन गुजारे है
- तुम्हारे बिना
- तुम्हारे लिए
- तुम्हारे शब्दों के लिहाफ में
- तुम्हारे साथ
- तुम्हारे साथ
- तुम्हें क्या लिखूं
- तुलसी
- तू गा तो सही मुस्का तो सही
- तू जब जब याद आती है
- तू जानता है तुझे मैं भुला नहीं सकता
- तू मिला कि मुझको जहाँ मिला
- तू मुझको, अपना के देख
- तेरा ही अंश हूँ माँ
- तेरी गली
- तेरी नादानियाँ- गज़ल
- तेरे आँचल का
- तेरे बिना इस जिंदगी में
- तेरे शहर में गरीब के अस्मत भी बिके हैं
- तेरे सिवा
- तो कैसे सुधरेगे हालात
- त्याग प्रेम दिल भरा तो
- त्याग प्रेम दिल भरा तो
द
- दर्द की परछाइयाँ
- दर्द मुझको यहां मिला है बहुत
- दंश
- दहेज का व्यापार
- दिल का पंछी चाहता है, एक बसेरा चाह का
- दिल की बस्ती जो उजड़ी ,बसेगी नहीं
- दिल के फूल
- दिल न ये टूटा होता
- दिल ने तुम्हें पुकारा
- दिल में उजाला होता
- दिलों के फूल है
- दिशाहीन नहीं हूँ मैं
- दिसंबर जा रहा है
- दीपक की बाती जलती है
- दीये से जलते हैं
- दीवाने हैं
- दुनिया में नाम वतन का रहेगा
- दूर तक सूखे हुए पत्ते मुहब्बत के(ग़ज़ल)
- देखता रहा(गज़ल)
- देखा है उन्हें
- देखो फिर से होली आई
- देखो रुत आज होली की
- देखो सावन आया है
- देश का मान बढ़ाती हिंदी
- देश की आन पे सर अपना कटा देते हैं
- देश के रहनुमाओं से मेरे इन सवालों के ज़बाब चाहिए
- दो सखियों का भाव विनिमय
- दोस्ती
- दोहा
- दोहें
- दोहें-मिटा अंधेरा रात का, उतरी मन में भोर
- दोहें-हम बैरागी हो गए
- दोहें-हिंदी का हो ताज
- दोहे-होली के हाल
ध
न
- न गुरूर हो पाये
- न जाने कि किस भाव में
- न जाने कौन हूँ मैं
- न मिली अंगूठी(अवधी)
- न रातें रहीं , न वो बातें रहीं
- नईं आशाएं
- नगर
- नजर आते हैं
- नज़ारा और कोई किस तरह दिखाए नज़र
- नज्म़-दिलकी बातों से
- नदी
- नफ़रत के सिलसिले को हमें तोड़ना है तो
- नमन उनको मैं करता हूं
- नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:
- नया एक गुल खिलाओ तो कभी जाने
- नया एक गुल खिलाओ तो कभी जाने
- नया साल : कुछ कविताएँ
- नया साल आया है !
- नया साल फिर आ रहा है
- नये साल काअभिनंदन
- नये साल में मस्ती
- नव जीवन उत्सर्जन
- नव जीवन उत्सर्जन
- नव वर्ष
- नव वर्ष मंगलमय हो
- नववर्ष
- नशा
- नहीं माँगता मैं अवकाश
- ना कह कर पछताया है मन
- नाचे दुनिया बावरी
- नारियों का योगदान
- नारी
- नारी
- नारी
- नारी एक रूप अनेक (संस्मरण)
- नारी तुम्हें अपने लिए खुद लड़ना होगा
- नारी तू नारायणी
- नास्तिकता का उदय
- नास्तिकता का उदय
- निगहबानी हमें करनी है, ख़ुद ही अपने गुलशन की
- निगाहें ऐसी डालो
- निगाहें ऐसी डालो तुम
- निगाहें वहां पर हो
- निभा लेते तो अच्छा था
- निरूत्तर सी मैं
- निर्झर
- निर्झर शब्दलहर
- निष्कर्म
- नीयत बदल गई है क्या मेरे राजदाँ की
- नीर भरी दु:ख की बदली
- नेपाली : प्रकृति चित्रण की संपूर्णता का कवि
प
- पंचख शांति
- पतझड़ सावन बन जाता है
- पता है
- पत्नी
- पथ के राही
- पदचिह्न बनाते बढ़ता चल
- परछाईं
- परमाणु युद्ध को रोकना होगा
- परवरिश
- परिवर्तन
- परिवार
- परिस्थितियों से लड़ता रहता हूं
- परेशान आदमी
- पर्यावरण और नेपाली का काव्य
- पर्यावरण संरक्षण
- पर्व है रंगों का
- पहली कविता
- पहाड़ों के भीतर
- पाके आज इतराई होगी
- पाती
- पानी – पानी
- पाप की गठरी
- पार जाना है
- पालक (पिता)
- पालना है प्रकृति का सभी के लिए
- पिंजड़े का सुगना
- पिता : सदैव आदरणीय
- पिता का शब्द बच्चे के लिए
- पिता के जूते
- पिया रंगे न मोरी चुनरिया
- पुत्री
- पुरस्कार-ज्ञानपीठ पुरस्कार
- पुलवामा
- पुष्प और कांटे
- पुष्प संदेश
- पुस्तक समीक्षा – मन पाखी अकेला
- पुस्तक समीक्षा – रात की धूप में
- पुस्तक समीक्षा : नागिन एक प्रेम कथा
- पुस्तक समीक्षा- ‘अक्टूबर जंक्शन’
- पुस्तक समीक्षा- सवा छः प्रेम
- पुस्तक समीक्षा- हिंदी व्यंग्य साहित्य में नारी
- पुस्तक समीक्षा-‘कागज़ के फूल’
- पुस्तक समीक्षा-“उठापटक”
- पुस्तक समीक्षा-B-15B फोर्थ फ्लोर
- पुस्तक समीक्षा-अश्वात्मा का अभिशाप
- पुस्तक समीक्षा-आठवां समंदर
- पुस्तक समीक्षा-कुल्हड़ भर इश्क : काशीश्क
- पुस्तक समीक्षा-ड्रीम जर्नी
- पुस्तक- समीक्षा-‘दरिया बन्दर कोट’
- पुस्तक-समीक्षा – ‘वो फ़ोन कॉल’
- पुस्तक-समीक्षा -‘दिसंबर संजोग’
- पुस्तक-समीक्षा -‘प्रत्याशा’
- पुस्तक-समीक्षा -‘रात की धूप में’
- पुस्तक-समीक्षा-‘भोर उसके हिस्से की’
- पूजित सदा जगत में नारी
- पृथ्वी- समुद्र प्रेम
- प्यार बदला है
- प्रकृति का संरक्षण
- प्रकृति के साथ
- प्रकृति चित्रण
- प्रकृति से पियार करो
- प्रकृति-पांचाली
- प्रतिभा संग नैतिकता हो
- प्रतीक्षारत
- प्रतीक्षारत मैं
- प्रथम चरण बन जाओ
- प्रवचना का नाम जिसने सेवा रख दिया
- प्रश्न ही प्रश्न
- प्राकृतिक मिलन
- प्राप्त है जितना वही पर्याप्त होना चाहिए
- प्रार्थना
- प्रार्थना-कोई लीला करो शंभू
- प्रेम
- प्रेम
- प्रेम का अबीर
- प्रेम का घड़ा
- प्रेम का बीज
- प्रेम का स्वरूप
- प्रेम के रास्ते
- प्रेम दिलों में भरा नहीं है
- प्रेम दीप
- प्रेम नदी रस की भरी(11 दोहें)
- प्रेम पत्र :पांच कविताएँ
- प्रेम पास में बंधे हुए हैं
- प्रेम पिपासा
- प्रेम में ही तृप्ति है
- प्रेम रंग
- प्रेम रस
- प्रेम रोगी
- प्रेम ही ईश्वर है।
- प्लेट मेरे नाम की
फ
- फ़कत बीज नहीं
- फन
- फागुन
- फागुन (दो छन्द)
- फागुन (दो छन्द)
- फागुन आ गया
- फागुन आयो रे
- फागुन में मन बौराया
- फागुनी फुहार हो
- फिर आया पतझड़ का मौसम
- फिर भी मुझे इकरार है
- फिर भी लिखना है
- फिर याद आई गांव की खुशबू
- फिर से मानवता घबराई है
- फिसलता रहा(गज़ल)
- फुल कहय माली से(अवधी कविता)
- फूल
- फूल और कण्टक
- फूल गवाह है निशा के संघर्ष का
- फूल तुम्हें भेजा है
- फौजी की पत्नी अपने फौजी से कहती है
ब
- बखरी(अवधी कविता)
- बगियम् नवा बसंत(अवधी कविता)
- बगिया
- बचपन और जवानी
- बचपन की सुनहरी यादें
- बचपन की होली
- बचपन की होली
- बचपन के दिन बीत चले
- बचपन न रहा है,न जवानी रहेगी
- बँटवारा
- बंटवारा
- बड़का पाँड़े
- बढ़े चलो
- बतियाती हैंअक्सर तुम्हारी यादें
- बरसात के बादल !
- बरसों से बेनूर है(11 दोहें)
- बलिदान वीर सपूतों का…..
- बस चलना है
- बस जाओ ज़रा
- बसंत जैसे मेरा प्रेम हो
- बसंत जैसे मेरा प्रेम हो
- बसंत पंचमी
- बसंती बयार होली लायी
- बसंतोत्सव पर
- बसन्त/गणतंत्र
- बसाओ दिल मे हनुमान को
- बसाकर दिल में उनको
- बह गये हैं याद के घर वक़्त के सैलाब में
- बाट
- बात करते नहीं
- बादल आये
- बाबा बेलखरनाथ धाम
- बाबा साहेब अम्बेडकर को समर्पित
- बाबू जी! मुझे फिर से वही बचपन चाहिए
- बाबू वीर कुँवर सिंह के प्रति
- बाल दिवस
- बाँसुरी की तरह
- बिकाय गए भगवान(अवधी कविता)
- बिछड़ने का दर्द
- बिहार अतीत और वर्तमान के आइने में
- बिहारी हैं
- बीतती खुशियों में जिंदगी है मेरी
- बीतते हुए साल का दर्द
- बुद्ध
- बुरा ना मानव होली हय(अवधी कविता)
- बूढ़ा बैल
- बेजुबान की पीड़ा
- बेटियां
- बेटियां
- बेटियाँ
- बेदर्दों को दर्द सुना कर,क्या होगा
- बेवड़ो की होली (हास्य रचना)
- बोल रहा इतिहास
- ब्रज की रज
भ
- भक्त
- भक्त की विजय का पर्व : होली(नाटक)
- भगवान बन जाना
- भगाएं जिंदगी का सूनापन
- भजन-शिवमय जीवन
- भले हमारी हार हो
- भवा देश कय बंटाधार
- भाई मुझे भुल न जाना याद रखना
- भारत की आजादी में मऊ जिले की बलिदानी भूमिका
- भारत के रखवाले हैं
- भारत के रखवाले हैं
- भारतम!
- भाव दिलों का जोड़ लो
- भुला दो मुझे
- भूख
- भूल को सुधार ले
- भूल गया अब याद नहीं
- भूल जाना भी अच्छी आदत साहब
- भेद क्यों करते हो।।
म
- मकर संक्रांति
- मगर तुम ना समझ पाए
- मंचों का किरदार हूं
- मछली-पोखर
- मजदूर
- मजदूर दिवस
- मजहब
- मजा है तबसे
- मंजिलें
- मंजिले दूर होती रही
- मत शूल की बातें करो
- मदन गोपाल सबके हैं
- मदारी
- मधुआ (जयशंकर प्रसाद)
- मधुमास की छटा
- मन की बात
- मन पतंग
- मनवा प्रिय दर्शन की आस
- मर रहा होता है
- महज एक दिल के कोने में
- महाकवि गो० तुलसी दास की पावन स्मृति को समर्पित एक ग़ज़ल –
- महादेव भोले भंडारी
- महान मानवतावादी महात्मा गौतम बुद्ध
- महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी
- माँ
- माँ अब मैं बडा हो गया हूं
- मां अब मै बडा हो गया हूं
- मां का आंचल
- माँ का दर्द
- मां की गोद
- माँ की जयकार(घनाक्षरी)
- मां में सारी देवी बसती हैं
- मांँ शारदे
- मां शारदे ! तनिक सा तो तार दे
- माँ शारदे वन्दना
- माँ होती है
- माण्डवी
- मान बेच कर सुविधा पाना-तौबा-तौबा
- मान लेंगे वो बुरा तो मुस्कराना छोड़ दें
- मानव
- मानव धर्म
- मिल गई जिसको जमी
- मिलती नही है मंजिल
- मिला है जो भी मुझे अब तक मेंरी माँ की दुआओं से
- मीत
- मीत
- मुक्तक
- मुझको एक सच्चा इंसान मिला
- मुझसे शादी करोगी?
- मुझे गांव में रहने दो
- मुझे गिराने की जिद जमाना कर रहा है
- मुझे रात सँवर जाने को कहती है
- मुद्दतें गुज़र गईं ख़ुद से मिले हुए
- मुसलसल युद्ध चलता है कोई
- मुस्कराने लगे हैं
- मुस्काती है
- मुस्कुराने की वजह जो मिल गया होता
- मुस्कुराने से भला क्या दर्द कम हो जाएगा ।
- मृगतृष्णा
- मेरा हृदय उद्गार
- मेरा हौसला था
- मेरी कविताएँ मेरा लेख
- मेरी गजलों में तेरे गुनाहों का हिसाब होगा
- मेरी जान को, मेरी जान से दिक्कत है
- मेरी जिद
- मेरी तनहाई का सहारा है
- मेरी प्रेमिका
- मेरी फुदकती चिड़िया
- मेरी मंजिल
- मेरी लेखनी का सफर
- मेरी हिन्दी
- मेरे चेहरे पर कई जिम्मेदारियों की हैं झुर्रियां
- मेरे दर्द में तुम
- मेरे पाँव की पायल
- मेरे प्रियतम को ना जगाओ
- मेरे मन की बात
- मेरे हिस्से में गांव मिला
- मेरे हौसलों को लोग आजमाने में लगे हैं
- मेवाड़ केसरी महा राणा प्रताप
- मैं
- मैं अक्सर खुद से लड़नें लगता हूँ
- मैं अपनी दुनिया सौंप दूं
- मैं कहता हूं कि तुम भुला दो मुझे
- मैं चाहूं बस इतना
- मैं तुझे चाहता हूंँ बस
- मैं तुमको याद आऊंगा
- मैं नहीं मानता
- मैं बिखरता नहीं
- मैं भी पढ़ने जाऊंगी
- मैं मंत्रों की हृदय धारा हूँ
- मैं रो रोकर
- मैं ही इस जग रचयिता हूं
- मैं हूं ना
- मैंने तेरे लिए
- मोबाइल
- मोहब्बत का नक्शा
- मोहे रंग दे गुलाल
- मौत : कुछ शब्द चित्र
- मौसम
य
- यह जीवन पथ आसान नहीं।
- यह निर्णय हमको करना है
- यह प्रेम अगर फिर अपना होता
- यह युग छलिया ,प्रपंचों का है
- यही तो पूछ रहा हूं
- याद करो
- यादों की बारिश में धुलकर
- यादों के नाम ख़त
- युग का युवा
- युधिष्ठिर का निर्वेद
- यूंँ ज़िंदगी में
- यूं लिबास मुझसे
- ये कैसा नया साल है
- ये नज़र है या कोई पुरानी शराब है
- ये परिंदे सफर में हैं
- ये मासूम सी मुहब्बत
- योग की मानव जीवन में आवश्यकता
- यौवन की रुत आ गई
र
- रक्षाबंधन
- रक्षाबंधन का महत्त्व
- रंग अनेकों होते तो हैँ
- रंग इन्द्रधनुष
- रंग गुलाल तुम भेज दिये
- रंग भऐं सब प्रीत
- रंग-ए-बहार होली का
- रघुपति से जीत न पाऊंगा
- रवीन्द्रनाथ टैगोर की लोकप्रिय कहानियाँ
- रह जाते यदि राजा बनकर जीवन लक्ष्य ना पूरा होता
- रहमत का असर है
- राम आयेंगे(एकांकी)
- राम रावण युद्ध
- रामदुलारी
- रायपुर की गलियों में
- रावण कहता है
- रिश्तें
- रिश्ते वफ़ा ईमान और जज्बात देखिए
- रिश्तों की अहमियत
- रिश्तों की बात हो।
- रूह में मिलने का इरादा बहुत ज्यादा था
- रेगिस्तान का बसन्तोत्सव
- रेत का घर
- रोटियाँ
- रोम-रोम में छा जाना
ल
व
- वक्त
- वक़्त ए रुख़सत ये सिलसिला होगा
- वक़्त कट जायेगा कठिन भी
- वक़्त की टहनी पे अब भी खिल रहा हूँ मैं
- वक़्त के सैलाब में
- वक़्त तनहा रह गया।
- वतन की मिट्टी
- वंदन
- वसंत आया
- वसंत पंचमी
- वसन्त आ गया !
- वह मेरे घर, आई कल।
- वही घनश्याम चाहिए
- वापसी
- विद्या और शिक्षा में मौलिक अंतर
- विधि का विधान
- विनाश की झांकी
- विरान
- विवाह की 20 वीं वर्षगांठ
- विश्व में हो हिन्दी का सम्मान
- विश्वास की शक्ति
- विष को भला पिएगा कौन
- वीर मल्हार
- वीरांगना लक्ष्मीबाई
- वे दिन
- वैदिक साहित्य
- वो कितने कठिन दौर थे
- वो जिसके वास्ते जनमों जनम ठहरा रहा होगा
- वो बसंत की याद
- वो मुस्कुरा देती है जब वो मुस्कुराता है
- वो यकता है मगर लगता कई है
- व्याकुल अखियाँ
- व्याकुल मन
- व्याकुल है ये जमाना
श
- शफक
- शब्द
- शब्द से चेतना तक नयन ही नयन
- शरद पूर्णिमा
- शर्तिया कोई नेवला होगा
- शांत रुदन
- शायरी
- शिक्षक
- शिक्षक समाज का शिल्पकार
- शिक्षक: प्रकाश के समान
- शिक्षा शास्त्र (सेट-1)
- शिक्षा शास्त्र (सेट-2)
- शिक्षा शास्त्र (सेट-4) (CTET & UGC-NET एवं अन्य शिक्षक नियुक्ति परीक्षाओं हेतु उपयोगी )
- शिक्षाशास्त्र (सेट-3) (CTET & UGC-NET एवं अन्य शिक्षक नियुक्ति परीक्षाओं हेतु उपयोगी )
- शिव : एक अनुसरणीय जीवन
- शिव की महिमा
- शिव बम बम
- शिव शंकरा
- शिवरात्रि
- शीत ऋतु -कवित्त (ककहरा)
- शीर्षक= भारतीय हिंदू नव वर्ष
- शीर्षक= हम करेंगे मतदान (लोकसभा चुनाव)
- शेर
- श्रमिक दिवस को समर्पित:-गीत
- श्री कृष्ण की महिमा
- श्री कृष्ण जन्म
- श्री गुरु चालीसा
- श्री गुरु वंदना
- श्रृंगार
स
- सकारात्मक सोच
- संघर्ष
- संघर्ष मगर अपना है
- संघर्ष ही जीवन
- संघर्ष ही जीवन है
- सच को जब हमने समझा
- सतरंगी होली
- सती सुलोचना
- सत्य
- सदा रहा ना कोई कैसे मैं रह पाऊंगा
- सदा ही साथ में रहना
- सन् 1857 महाक्रांति के योद्धा, हरियाणा के राजनायक राजा राव तुलाराम
- सन्ध्या-योग
- सपने सजा जाता है
- संपादक मंडल
- सफर
- सफेद आंचल
- सब को अपने गले से लगा कर चलो
- सब गरीब धनवान हैं-दोहें
- सबके दिल को ही शीतल करू मै
- सबरी के राम
- सबसे बड़ा पुण्य
- समय ने खोले बंद पुराने
- समसामयिक हिंदी कविता : विविध परिदृश्य
- समाजवाद, राष्ट्र और चन्द्रशेखर
- समीक्षा :- कोचिंग @कोटा(उपन्यास)
- समीक्षा :-कॉफी विद कृष्ण(उपन्यास)
- समीक्षा:- अँधेरे के खिलाफ़(काव्य संग्रह)
- समीक्षा:-इस मोड़ से आगे(उपन्यास)
- सम्हले जमाना जरा
- सरस्वती मां
- सरस्वती वंदना
- सर्द रातें
- सवाल ये है
- संस्मरण
- सहरिन से पुरवा बही (अवधी रचना -दोहा )
- सा. अध्ययन (सेट-1) (सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी)
- सा. अध्ययन (सेट-2) (सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी)
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- सा. अध्ययन (सेट-5) (सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी)
- साँची आंखें
- साथ अपनो को
- सादगी का करके सिंगार
- साधक तिरस्कार-तम में हैं(गीत)
- सारियाँ
- सावन का महिना
- सावन का महीना दर्ज़ कर देना
- सावन के मेघ
- सावन तुम फिर कब आओगे
- सांसों का दरिया बहे(दोहें)
- साँसों की आग
- साहित्य समाज का दर्पण
- साहिब(गज़ल)
- सिकन्दर
- सितम यूं मुझपे ढा रहा है कोई
- सियासत
- सियासत
- सिर्फ शब्द नहीं
- सीख
- सुकून के पल
- सुकून नहीं मिलता है
- सुख – सुविधा
- सुखद भावो का यहा निर्माण हो
- सुग्गो
- सुन मनोरमे, अपने नववर्ष का आना अभी बाँकी है
- सुन री मनोरमे, अपना नव वर्ष मनना है।
- सुन री मेरी मनोरमे
- सुनता रहा मैं
- सुनो ना
- सुबह का सूर्योदय नभ
- सुलगता अलाव
- सुवासित शीतल सुखद बयार
- सुहाने से मौसम में
- सुहाने से मौसम में मैं घूमता हूं
- सूनापन और एकांतवास
- सूरज
- सूरज भी चाँद बन
- सृजन
- सृष्टि का उपहार है नारी
- सेदोका
- सेमल के फूल
- सोचता हूँ दर्द को घड़ी बना दूं
- स्त्री
- स्त्री
- स्त्री
- स्त्री लिखती है तो आकाश उतर आता है
- स्त्री- अस्मिता के सवाल और हिन्दी मीडिया
- स्त्री, स्वरुप शक्ति का
- स्नेहनिल बौछार
- स्पर्धा
- स्पर्श
- स्वप्न
- स्वप्न या हकीकत
ह
- हजार खूबियां देखी कमी वफा देखा
- हम अपनी दौलत लूटा रहे है
- हम ग़ज़ल किसको सुनायें
- हम छले गये
- हम दीन दुखियन के
- हम मजदूर हैं साहब
- हम हन दलित नारी
- हम हैं
- हम हो चुके हो
- हमक़दम, हमदम न होगा
- हमका बस पियार चाही(अवधी कविता)
- हमारी हर पंक्ति में
- हमें दुनिया भी चाहिए
- हमेशा ही मुहब्बत से वो सारे काम लेते हैं
- हर कर्म का श्री गणेश तुम्ही हो
- हर तरफ बबूल !
- हर दर पर सर झुके ये मुझे मंजूर नही है
- हर दुआ मे वो ज़माना चाहता हूँ
- हर बाज़ी जीती थी मैंने
- हर मंज़र आज़ार हुआ
- हर मंज़र आज़ार हुआ
- हर वक्त तेरा ख़्याल है
- हर सुबह रात की सिसकी है
- हर हर महादेव
- हरिजन
- हंस वाहिनी
- हां, मौन हूँ मैं…!
- हाइकु
- हाशिये हैं
- हास्य-व्यंग्य
- हिंदी साहित्य (वस्तुनिष्ठ)
- हिंदी साहित्य (वस्तुनिष्ठ)
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- हिन्दुस्तान के घाती पर
- हुकूमत की गोद में
- हे जिंदगी
- हे दीनबंधु(घनाक्षरी)
- हे महेश्वर, हे महाकाल
- हे राम!तुम्हारे चरणों में
- हैवानियत
- हो अगर मेरी तरफ
- हो कभी ना फासला
- होके तुझसे जुदा दूर जाना नहीं
- होड़
- होरी कि हुड़दंग
- होरी गिरि कैलाश पे
- होली
- होली – गीत (सरसी छंदाधारित)
- होली (गीत)
- होली (दोहा)
- होली आई
- होली आई
- होली आई रे होली आयी
- होली आई विहसा अंबर
- होली का त्यौहार
- होली ने रंग बिखेरे हैं
- होली पर दोहे-रजनीगंधा की महक
- होली पर हर रंग प्रहलाद है
- होली रंगों का त्यौहार
- होली- मुक्तक द्वय
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