अगर ज्ञान का दीप जलता रहेगा
खतम ओ अंधेरे को करता रहेगा
अगर ना जलाया तू दिल मे ये दीपक
अंधेरा सदा तुझको छलता रहेगा
सदा ही दिलों मैं भरा प्रेम का जल
बगीचे को गुलजार करता रहेगा
टूटेगा ना कभी प्रेम रिश्तो का बंधन
सदा सिलसिला इसका चलता रहेगा
अगर ना विखेरोगे खुशियों के अमृत
तो प्याला गरल का ही पीता रहेगा
मिश्री सदा अपने कर्मों की घोलो
तो जीवन का रस तुझको मिलता रहेगा
कदम जो रखोगे कभी तुम दिलों में
तो बढ़ने का सौभाग्य मिलता रहेगा
खुद में है ताकत न समझोगे जबतक
शेर होकर भी गीदड़ से डरता रहेगा
अगर खुद के कर्मों को तुम देख लोगे|
तो उत्तर तुम्हें खुद ही मिलता रहेगा
रखोगे अगर मन को तुम साफ करके
प्रेम के भाव से गर नहाता रहेगा
कमी ना दिखेगी तुम्हें फिर कभी भी
ये जीवन तेरा मुस्कुराता रहेगा
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