न कोई उत्साह है,
न कोई उल्लास है ।
शीत के आक्रमण से,
तन मन सब बेहाल है ।।
ये कैसा नया साल है ।।
घर में बंदी हो गए,
बाहर बहुत तुषार है ।
जीव जंतु सब व्याकुल है,
एक पल न चैन करार है,
रवि भी अब मद्धम हुआ,
सिमट सा गया प्रकाश है,।।
हाथ पैर भी काम न करते,
अब हुआ अलाव से प्यार है ।।
ये कैसा नया साल है
ये कैसा नया साल है
पात पात पे ओस जमी है,
हर एक वृक्ष उदास है ।
पतझड़ भी है आने वाला,
है साख से पात टूटने वाला,
अब है साथ छूटने वाला,
इस बात का बहुत मलाल है ।।
ये कैसा नया साल है
ये कैसा नया साल है ।।
अंग्रेजों की इस परंपरा को,
हम हर्ष के साथ मनाते है ।
संवत् का कुछ ज्ञान नहीं,
नववर्ष है ये चिल्लाते हैं,
ये भी तो बड़ा कमाल है ।।
हम अंग्रेजों के साथ खड़े है,
अब कैसे कहें आजाद है ।
आजाद हिंद के लोग अभी तक,
इस सोच के अभी गुलाम है ।।
क्या अपनी संस्कृति हम भूल चुके,
बस इतना सा मेरा सवाल है ।।
ये कैसा नया साल है
ये कैसा नया साल है