बगिया में प्रेम के दो फूल खिलते देखा था ।
प्रेम के उन्माद में पत्थर मचलते देखा था ।
जीवन को हरपल तिरस्कार करनेवाले
मौत की आंखों में
जीवन की भीख मांगते देखा था ।।
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