
कर्म और उसके फल
कितना आसान होता है, कुछ नामुरादों के लिए,रिश्तों में कपट करना, छ्लना, फरेब करना।अपनी बातों से फिर जाना, पलट जाना।अपने स्वार्थ् में अँधा हो जाना।रिश्तों

कितना आसान होता है, कुछ नामुरादों के लिए,रिश्तों में कपट करना, छ्लना, फरेब करना।अपनी बातों से फिर जाना, पलट जाना।अपने स्वार्थ् में अँधा हो जाना।रिश्तों

स्त्री के बिना क्या सोचा जा सकता ये संसार??स्त्री के बिना क्या सोचा जा सकता घर परिवार??स्त्री के बिना क्या हो सकता समाज का उद्धार??

डूबता ओ नहीं भाव से जो मराडूबने के लिए जिंदगी चाहिएभीगे दुख में कभी भी ना आंखें तेरीभीगी आंखें सदा भाव में चाहिएबीते उपकार में

मैं भी तुमको याद करूं और तुम भी मुझको याद करोप्यासा जीवन रह ना जाए रिमझिम सी बरसात करोछुपा के रखा प्यार दिलों में कभी

तेरे रंग रूप में रोज ढलता रहामन की आंखों से दिल में उतरता रहासुर्ख चेहरे पर बिखरी जो जुल्फे कभीचांद का पहरा उसको समझता रहाजब

अब तो रह ना सकूंगा तुम्हारे बिनागीत गा ना सकूंगा तुम्हारे बिनाचाहे कितनी भी मिल जाएगी रोशनीपर अंधेरा रहेगा तुम्हारे बिनासुख तो बदला है दुख

देखकर चेहरे को उसके गजल हमने लिख दियाडूब उसके भाव का सौंदर्य हमने लिख दियाकान की बाली सुशोभित उसके ऊपर हो रहीउसको तो मैं आसमान

है प्रकृति आवरण जिंदगी की यहांबात सच है इसे भूलो मत तुम कभीइस प्रकृति से ही सबका है जीवन बचाभूल कर भी इसे छेड़ो मत

ज़िंदगी राहों सी हो गई है ,ज़िंदगी आहों सी हो गई है । हां,सभी तो चाहते हैं तेज चलना ,ज़िंदगी बातों सी हो गई है

इससे पहले कुछ हो जाए,मानवता पर आँच भीषण आए,हमे निर्भीक और मासूमियत सेमानवता पर वार रोकना होगा यह संघर्ष है हमारे जीने कीहमें परमाणु युद्ध