कविता

Category: कविता

कविता

मंचों का किरदार हूं

कलम का पुजारी, मनमौजी फनकार हूं।साधक हूं शारदे का, वाणी की झंकार हूं। शब्दों की माला बुनता, कोई कलमकार हूं।गीतों की लड़ियों में, सुर छेड़ती

विस्तार से पढ़ें »
कविता

एक दिन आयेगा

एक दिन आयेगाऔर हम सब चले जाएंगे। कहां जायेंगेपता नही । पर उस टाइम कोईरोने वाला नही होगा। पर कोने में पड़ी होंगीकुछ कविताएं। जो

विस्तार से पढ़ें »
कविता

मजदूर दिवस

मैएकइंसानआप जैसामेरे दिल मेंभी तो पलता हैअरमान आप सामहनती भी हू मैवफा दार भी हूँकाम के प्रतिमजदूरही हूँ मैसच्चाजी मैंएकजीवटश्रमजीवीअपने बूतेपोषित करताअपना परिवारतकलीफ से सहीपर

विस्तार से पढ़ें »
कविता

बाट

अहले सुबह हीउठती हूँ मैंतुम्हारे संग – साथकी ख्वाहिश लिए….कितुम उठोगे तो चलोगेमेरे संगसुबह की सैर पर!जो हो गई देरतोपी लोगे साथ बैठसुबह की चाय

विस्तार से पढ़ें »
कविता

फागुन (दो छन्द)

भंग की तरंग में उमंग इठलाय रही सा रा रा रा सा रा रा रा शोर चहुँओर है जाति सम्प्रदाय का कतहूँ भेद भाव नहीं

विस्तार से पढ़ें »
कविता

बसंत पंचमी

बसंत पंचमी आई है खुशियों की लहरे छायी है इस दिन अवतरित हुई मां सरस्वती कहते है कला, विद्या की देवी मौसम भी है खुश

विस्तार से पढ़ें »
कविता

गुलाबी होली

हर रंग में तू ही तू हैवो कौन जगह जहां तू नहीं,भोर की लाली में तुमरंग हरा बन, हरियाली में तुम,चांद से चमकीलेतुम सूरज से

विस्तार से पढ़ें »
कविता

प्रेम का अबीर

बेरंग से रंग ढूंढने, बाज़ार में न जाएअपनों की प्रीतरंग, घुल मिल जाए,और होली की रौनक बढ़ाए… हर सुबह फिर गुलाबी होगीहर शाम फिर इन्द्रधनुष

विस्तार से पढ़ें »
Total View
error: Content is protected !!