कविता

Category: कविता

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जब मन में

प्रेम द्र्वित ना हो जब दिल मेंमुखड़ा क्या देखे दर्पण मेंसुख देखे दूजे का कैसेभरी हुई ईर्ष्या जो मन मेंराज दिलों में छुपा के रखताभरी

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परिस्थितियों से लड़ता रहता हूं

रोज तूफानों से लड़कर मैं यहाबुझते दीपक को जलाता रहता हूंउठता मन में ज्वार भाटा जो मेरेउसमें ही दिन भर नहाता रहता हूंउड़ ना जाऊं

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सूनापन और एकांतवास

सूनापन एकांतवास एक बातें जैसी दिखती हैंसूनापन एकांतवास में बहुत भिन्नता होती हैएकांतवास तो जीवन का वरदान हमेशा होता हैसूनापन तो जीवन का अभिशाप हमेशा

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दिल न ये टूटा होता

गर तेरा भाव मेरे भावो में डूबा होतामाधुरी रात बनके दिल में उजाला होताकभी ना देखता मैं आसमां के चंदा कोदिल में चेहरा तेरा गर

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अहम का नशा

जब हम का नशा दिल में छा जाएगासारा जीवन अधेरा सा हो जाएगाचाहे कितनी उसे रोशनी दो भलेदिल में फिर भी उजाला न कर पाएगाजब

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परिवार

मिला दिल दिल वही परिवारमिला ना दिल तो है बेकारविचारों में समझ सौहार्दसदा ही है सुखद परिवारएक घर अजनबी व्यवहारवही सदा बिखरा परिवारचाल धोखा और

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स्त्री

जब तक स्त्री सुनती है, चुप रहती है,घर के सारे काम करती है,हाँ में हाँ मिलाती है, बिना सही गलत समझे,तब तक हि लोग उसे

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आत्महत्या ?

आत्महत्या कोई किस हालातों में करता है,कोई उस इंसान के दर्द को उतनी गहराई से,शायद हि समझ सकता। कोई एक कारण नहीं होता, नहीं हो

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