सुहाने से मौसम में
जिंदगी के सफर में यूं ही घूमता हूंहवाओं के संग में ही मैं झूमता हूंवादियां जो प्रकृति की प्रफुल्लित खिली हैंउसी में ही जीवन का
जिंदगी के सफर में यूं ही घूमता हूंहवाओं के संग में ही मैं झूमता हूंवादियां जो प्रकृति की प्रफुल्लित खिली हैंउसी में ही जीवन का
आज अंतिम चरण युद्ध का चल रहाराम पर भारी रावण जब पढ़ने लगामारकर राम की सेना को आज तोमद मे खोकरके रावण भी हंसने लगाशक्ति
हे राम प्रिय हमारे लंका में अब पधारोकर के विनाश निशिचर हमको भी जग से तारोंहे राम प्रिय हमारेभटकता फिरू मै कब तक निशचर की
आज अवध के राजभवन का उत्सव भी गमगीन हुआजिसको मिलना राज सिंहासन उसको तो बनवास मिलायुद्ध कला पारंगत कैकेयी राजा का जब प्राण बचायाखुश हुए
परिवर्तन हो सुखद सादगी परख गुणो की व्यापकतायश फैले उत्कर्ष लेखनी प्रतिभा संग हो नैतिकताप्राप्त करें संसार सदा ही जो कृति गुण परिचायक होसदा जुड़ा
अगर ज्ञान का दीप जलता रहेगाखतम ओ अंधेरे को करता रहेगाअगर ना जलाया तू दिल मे ये दीपकअंधेरा सदा तुझको छलता रहेगासदा ही दिलों मैं
पीली पीली सरसो फुलाके यहां चारों ओरपूरे इस जहां के हर दिल में ही छाई हैइसी के बगल में ही मटर भी फुलाई हुईछोटे श्वेत
बस गए जो दिल में आके दिल के वही मीत थेदिल से जो निकल गए वो ढोंग के प्रतीक थेस्वार्थ भाव जब उगा भावना के
बस गए जो दिल में आके दिल के वही मीत थेदिल से जो निकल गए ओ ढोग के प्रतीक थेस्वार्थ भाव जब उगा भावना के
चला आऊंगा तेरे दर मेरा वादा यही लेकिनमिलाना आंखों से आंखें छुपाना ना कभी लेकिनमिले ना हार फूलों का मुझे तुझसे भले लेकिनहमारे हो गले