कमलेश श्रीवास्तव
कमलेश श्रीवास्तव

कमलेश श्रीवास्तव

कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

मुसलसल युद्ध चलता है कोई

मुसलसल युद्ध चलता है कोई घायल ज़ेहन में है । यूँ मैं ख़ामोश रहता हूँ मगर हलचल ज़ेहन में है । न तुम आईं कभी

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सब गरीब धनवान हैं-दोहें

सब गरीब धनवान हैं , सब धनवान गरीब । उल्टी पुलटी चीज़ सब , दुनिया बड़ी अजीब । उनकी हालत हो रही , अंतिम समय

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तुम्हारी राह में(ग़जल)

तुम्हारी राह में फूलों की पंखुरियाँ बिछा दे बस । ख़ुदा तुमको ज़माने भर की ख़ुशियों से नवाज़े बस । महक उठ्ठे तुम्हारी दीद के

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यौवन की रुत आ गई

यौवन की रुत आ गई , रहिए ज़रा सचेत । फूलेंगे मन प्राण में , अब सरसों के खेत । अभी आप आज़ाद हो ,

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नाचे दुनिया बावरी

नाचे दुनिया बावरी , समय बजाये बीन । बूढ़े घर में क़ैद हैं , बच्चे हुए मशीन । आंखें तेरी श्यामला , ज्यों काजल की

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दोहें-हम बैरागी हो गए

हम बैरागी हो गए , मत अब डोरे डाल । खारा पानी मन हुआ , नहीं गलेगी दाल । मुखड़ा उस मासूम का , जैसे

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उम्र बस थोड़ी बची है

उम्र बस थोड़ी बची है काम बाक़ी हैं बहुत । एक था आग़ाज़ पर अंजाम बाक़ी हैं बहुत । यूँ रिहा हूँ अब मैं तेरी

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