तुम्हारी राह में(ग़जल)
तुम्हारी राह में फूलों की पंखुरियाँ बिछा दे बस । ख़ुदा तुमको ज़माने भर की ख़ुशियों से नवाज़े बस । महक उठ्ठे तुम्हारी दीद के
तुम्हारी राह में फूलों की पंखुरियाँ बिछा दे बस । ख़ुदा तुमको ज़माने भर की ख़ुशियों से नवाज़े बस । महक उठ्ठे तुम्हारी दीद के
यौवन की रुत आ गई , रहिए ज़रा सचेत । फूलेंगे मन प्राण में , अब सरसों के खेत । अभी आप आज़ाद हो ,
नाचे दुनिया बावरी , समय बजाये बीन । बूढ़े घर में क़ैद हैं , बच्चे हुए मशीन । आंखें तेरी श्यामला , ज्यों काजल की
हम बैरागी हो गए , मत अब डोरे डाल । खारा पानी मन हुआ , नहीं गलेगी दाल । मुखड़ा उस मासूम का , जैसे
उम्र बस थोड़ी बची है काम बाक़ी हैं बहुत । एक था आग़ाज़ पर अंजाम बाक़ी हैं बहुत । यूँ रिहा हूँ अब मैं तेरी
कैसी है माया तिरी , कैसा है ये जाल । बदन गठरिया पाप की , प्राणों में सुकताल । या तो खुद प वार करे
सांसों का दरिया बहे , बंजर तन के बीच । पुण्यों की रसधार से , चल कर्मों को सींच । प्यारी सच्चाई नहीं , प्यारा
आसमानों का परिन्दा कर दिया । वक़्त ने हमको अकेला कर दिया । यूं किसी ने चीर कर मेरा ज़हन । रूह के जाने का
प्रेम नदी रस की भरी , सूखे दोनों तीर । तुम भी वहां अधीर हो , मैं भी यहां अधीर । प्रेम सदा ही नूतन
बरसों से बेनूर है , खुशियों का फानूस । किस्मत होती जा रही , दिन पर दिन कंजूस । दुनिया के बाज़ार में , मैं