कविता

Category: कविता

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सतरंगी होली

इस बार की होली हर बार से नायब होगी, इस बार की होली हर बार से नायब होगी, हर रिश्ते में प्रेम के सतरंग पिरोयेगी,

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होली आई रे होली आयी

होली आई रे होली आयी, रगों की बौछार लायी। मौसम ने ली अंगङाई,होली खुशियों की सौगात लायी।। शीत ऋतु ने ली है विदाई,ग्रीष्म की आहट

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होली रंगों का त्यौहार

होली रंगों का त्यौहार, मिलकर सबको बांटे प्यार, चलो रंगों में हम रंग जाएं रसिया। चलने लगे जब-जब पूरवईया। झूमने लगे प्यारी फूलों की कलियाँ।।

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झूठे नैन

तुम्हारे झूठे नैन अनुत्तरित प्रश्न प्रश्ननीय हल तेरी खुशबू इंद्रजाल सा जादू मन बेकाबू उलझे रिश्ते बेजोड़ विभाजन  न घटा न गुणा ख्याली पुलाव जलता

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बचपन की होली

कहाँ गये वो दिन जब घर घर होली थी, केमिकल का भय नहीं मन में होली थी। सन्नाटो का काम नहीं, हुड़दंगों की होली थी।

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फागुन आयो रे

नीले पीले लाल गुलाबी, गोरी रंग लेकर आई। फागुन आयो रंग रंगीलो, उर उमंग मस्ती छाई। रसिया नाचे ढप बजावे, आज बिरज में होली है।

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