
सतरंगी होली
इस बार की होली हर बार से नायब होगी, इस बार की होली हर बार से नायब होगी, हर रिश्ते में प्रेम के सतरंग पिरोयेगी,
इस बार की होली हर बार से नायब होगी, इस बार की होली हर बार से नायब होगी, हर रिश्ते में प्रेम के सतरंग पिरोयेगी,
होली आई रे होली आयी, रगों की बौछार लायी। मौसम ने ली अंगङाई,होली खुशियों की सौगात लायी।। शीत ऋतु ने ली है विदाई,ग्रीष्म की आहट
होली रंगों का त्यौहार, मिलकर सबको बांटे प्यार, चलो रंगों में हम रंग जाएं रसिया। चलने लगे जब-जब पूरवईया। झूमने लगे प्यारी फूलों की कलियाँ।।
तुम्हारे झूठे नैन अनुत्तरित प्रश्न प्रश्ननीय हल तेरी खुशबू इंद्रजाल सा जादू मन बेकाबू उलझे रिश्ते बेजोड़ विभाजन न घटा न गुणा ख्याली पुलाव जलता
जैसे सूरज ने खोल दिए हों चितवन झूम उठी है धरती गगन धरती नभ थल में फैल गई दिनकर की स्वर्णिम किरण खिल उठी कलियां
कहाँ गये वो दिन जब घर घर होली थी, केमिकल का भय नहीं मन में होली थी। सन्नाटो का काम नहीं, हुड़दंगों की होली थी।
बसंत ऋतु के आगमन पर जैसे बगिया फूलों से महक जाती है, वैसे उन्हें देख मेरी पलकें शर्माकर आँखों से चिपक जाती है। हरे भरे
पलट के ना देखूँगी जो मुझे मिला नहीं, इस होली कोई शिकवा कोई गिला नहीं। छांछ और भांग का छायेगा जो खुमार, हंसी से लोट
नीले पीले लाल गुलाबी, गोरी रंग लेकर आई। फागुन आयो रंग रंगीलो, उर उमंग मस्ती छाई। रसिया नाचे ढप बजावे, आज बिरज में होली है।
होली आई विहसा अंबर प्रकृति हुई सुहानी । सात रंग से भीगी धरती ओढ़ी चूनर धानी ।। बसंती बयार बह रही तन में सिहरन लाई