कविता

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छाया हो जगत में

आज हम जलाएं प्रेम दीपक दिल के द्वारजिससे प्रकाशित हो ये पूरा संसारजग में अधेरा ना अज्ञानता का वाससब के दिलों में भरे प्रेम का

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सदा रहा ना कोई कैसे मैं रह पाऊंगा

बिछड़ के दूर तुमसे मैं कभी जो जाऊंगाकरूंगा याद तुमको और याद आऊंगाओठ खामोश ही रह जाएंगे भले लेकिनबनके धड़कन सदा ही दिल में गुनगुनाऊंगाएक

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मन की बात

अगर सुन सको तो कहूं मन की बातें ।सुलझा सको तो खोल दूं मन की गांठें ।। तुम्हीं ने कहा था समझदार हो तुम ।सुख-दुख

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मेरी मंजिल

सागर की तूफानी लहरों में, इक तिनका सहारा है ।।मंजिलें और भी होंगी, कदम मेरा कब हारा है ।। हौसला है तो मंजिल है, मंजिलों

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मेरी जिद

बहुत मन कर रहा है कि आप मुझसे बात करो ।लेकिन मेरी जिद यह है कि शुरुआत भी आप करो ।। आपकी सुलझी बातों से

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सीख

मत इतना गुमान कर वंदे एक दिन तो मिट जाना है । धन-दौलत, महले दो महले, मिट्टी में मिल जाना है ।। बल, साहस, शक्ति

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वे दिन

सुखद-स्वप्निलसरस-सुहानेउम्मीदों भरे वे दिन-खेलने-खाने केगाने-गुनगुनाने केहँसने-हँसाने केगप्पे लड़ाने केबेफिक्र , सुरधनुषीबचपन-यौवन के वे दिनजुदा हो गये ! कहाँ खो गये ! बोझिल-उदासचुप-चुप ,तन्हा-तन्हाबहरे-से ,ठहरे से

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चुपके चुपके

तन का मिलना मन का मिलना दिल का मिलना चुपके चुपकेमिलकर दूरी बनी अगर दिल घायल करता चुपके चुपकेशुरुआत प्रेम का जीवन में होता है

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जीने की राह

न हम होंगे न तुम होगे नहीं कोई गिला होगासिमटती याद का ही फिर यहा पर सिलसिला होगाचलो हंस कर बिता ले जिंदगी को जो

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