शिक्षक: प्रकाश के समान
शिक्षक: प्रकाश के समान ज्ञान का दीपक जलाते हैं, अज्ञान का अंधकार मिटाते हैं। जीवन को देते हैं दिशा, सपनों को आकार बनाते हैं। हर
शिक्षक: प्रकाश के समान ज्ञान का दीपक जलाते हैं, अज्ञान का अंधकार मिटाते हैं। जीवन को देते हैं दिशा, सपनों को आकार बनाते हैं। हर
वो पढ़ी, अथक् प्रयास किये,फिर वो आत्मानिर्भर बनी,अपने पैरों पर खड़ी हुई।उसने अपना और अपने माँ पापा का,मान बढ़ाया, सम्मान किया,ज़िम्मेदारी निभाई। कहाँ वो चुक
विधि का विधान भी कैसा है, सबको सबकुछ नहीं मिलता। किसी को मिलता है सागर तो, किसी को एक बूंद भी नहीं मिलता। कोई पढ़
सुकून है वो तोफ़हा जो सबको सब जगह नहीं मिलता, इसे पाने के गर खोना पड़े कुछ तो खोना जरूरी है। एक कप चाय के
श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान श्रीकृष्ण मेरे नटखट गोपाल, यमुना के तट पर रचाये रास। माता इनकी देवकी मैया, यशोदा के भी कहलाए लाल। बचपन
माना- जीवन के ये रास्ते बहुत लंबे है, चारों ओर बाधाएँ है, अंधेरा है, रुकावट है, लेकिन ये लंबे रास्ते पल भर में कट जाएंगे,
जब दिल था निर्मल और चहरे पर मुस्कान थी। न कोई चिंता और न कोई थकान थी। हर सुबह थी नहीं उमंगों से भरी, और
धरती माँ की गोद है प्यारी, इसकी रक्षा सबकी जिम्मेदारी। वृक्षों को मत काटो यार, ये हैं जीवन के आधार। पेड़ लगाओ, जल बचाओ, स्वच्छ
सावन का महिना सावन सबके लिए खुशहाली लेकर आता है। यह सावन बच्चे, बूढ़े सबको भाता है। चारों ओर फैली हरियाली की चादर, सबके मन
शिव की महिमा बर्फीली चोटियों पर विराजमान, कैलाश है उनका निवास। तीन नेत्रों में ज्योत जलती, हर युग में जिनका है वास। शिव की जटाओं