Sumit_kavya
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Writing and reading

गोपियों का विरह वर्णन

लाए उद्धव एक चिट्ठी श्री कृष्ण की, गोपियों को लगा पत्रिका है प्रेम की । खोजने लगीं नाम उसमें अपना – अपना , सत्य जानकर

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एक कप कॉफ़ी

वो एक कप कॉफी , कितना सुकून देती है ! रिश्तों में लाती है मिठास , दूर हुए लोगो को करती है पास , परिवार

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कुछ खोया ,कुछ पाया

विगत वर्षों में खोए हमने , अपने बहुत से मित्र । रह गए उनसे रिश्ते फीके , जो थे हृदय में बैठे नीके । छुपाए

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आया है नव वर्ष

आया है नव वर्ष, लोगों में लेकर नई उम्मीद नया जुनून और नई आशा ।। आया है नव वर्ष , दूर करने अकर्मण्यता दिलाने सफलता

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कुछ पंक्तियां

कुछ पंक्तियां लिखने से भर आता है मन , कुछ पंक्तियां लिखने से  मिलता है बहुत अमन ।। कुछ पंक्तियां लिखने से  ऐसा होता है

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नईं आशाएं

होता है बहुत दुःख कभी कभी, विगत को सोचकर, हृदय भी रोता है बहुत , निष्ठुर नियति को नोचकर मन में आती कि कर लेता

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परिवर्तन

जग में कुछ भी जो व्याप्त है, केवल वही नहीं पर्याप्त है । होगा उसमे कुछ तो बदलाव, चाहे हो जिसमें तुम्हारी  अरुचि या लगाव

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पहली कविता

एक मेरे मन ने ऐसी सोची, लिखूं एक कविता। कैसी होगी मेरी कृति, अकथनीय थी मनोवृति ।। पहली रचना लिखने बैठा, मन में उठी अनेक

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संघर्ष

सिंह आदि मांसाहारी को, करना हैं पड़ता , संघर्ष अगर । तो प्राण रक्षा हेतु भागते, मृग आदि शाकाहारी डरकर।। मृग आदि शाकाहारी को ,

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