सर्द रातें
होती हैं बहुत कष्टदायी यह सर्द रातें, विशेषत: उनके लिए जो घरों में रहना चाहते । मज़बूरी और भाग्य की ठोकर ना जानें वो बेचारे
होती हैं बहुत कष्टदायी यह सर्द रातें, विशेषत: उनके लिए जो घरों में रहना चाहते । मज़बूरी और भाग्य की ठोकर ना जानें वो बेचारे
मिलती है असफलता एक बार में, तो उससे भी कुछ सीखा होगा उस बार में उस अनुभव को न जानें दो बेकार में क्या कमी
( उपन्यास सम्राट कलम के सिपाही प्रेमचंद जी द्वारा रचित पूस की रात कहानी के सारांश पर आधारित ) पूस की वो ठंडी रात ,