हर सुबह रात की सिसकी है

हर सुबह रात की सिसकी है

#Morning with night
हर सुबह
रात से आती है
हर सुबह रात की
सुबकी है
हर दमक
तम का प्रतिबिंबन
हर ख़ुशी
कष्ट की ललिता है
हर पीयूष
गरल का स्पंदन
हर अग्नि
शीत का धीरज धन
हर पुष्प
कीच की है प्रसूति
हर पुरस्कार
प्रतीक्षा का फल है

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रचनाकार

Author

  • त्रिभुवनेश भारद्वाज "शिवांश"

    त्रिभुवनेश भारद्वाज रतलाम मप्र के मूल निवासी आध्यात्मिक और साहित्यिक विषयों में निरन्तर लेखन।स्तरीय काव्य में अभिरुचि।जिंदगी इधर है शीर्षक से अब तक 5000 कॉलम डिजिटल प्लेट फॉर्म के लिए लिखे।

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