सूरज भी चाँद बन

सूरज भी चाँद बन यादों से उलझ गया है l
तुम्हारी बातों का शजर जानें किधर गया है ll

बैठते थे, दोनों के जज़्बात जिसपर
बात सुन,चहचाती थी कोयल की तान जिसपर ll
इश्क़ की मिस्री पिघलती थी गर्म सांसों से ,
हवा संग बिखरती थी मुस्कान जिसपर ll
अधूरा ख़्वाब किरचन सा आँखों में रह गया है ,
तुम्हारी मुलाकातों का सहर जानें किधर गया है ll

गौधुली बेला में धुंधली सी शाम रहती थी ,
चाँद संग अपनी अधुरी मुलाकात रहती थी ,
अंधेरें होते थे यादों में उजाला भर कर,
रात भर करवटों में अपनी बात होती थी ll
अब दिल की धड़कनों का दीपक बुझ सा गया है l
तुम्हारी चाहतों का शहर जानें किधर गया है ll

सूरज भी चाँद बन यादों से उलझ गया है l
तुम्हारी बातों का शजर जानें किधर गया है ll

Facebook
WhatsApp
Twitter
LinkedIn
Pinterest

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

रचनाकार

Author

  • आलोक सिंह "गुमशुदा"

    शिक्षा- M.Tech. (गोल्ड मेडलिस्ट) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र, हरियाणा l संप्रति-आकाशवाणी रायबरेली (उ.प्र.) में अभियांत्रिकी सहायक के पद पर कार्यरत l साहित्यिक गतिविधियाँ- कई कवितायें व कहानियाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं कैसे मशाल , रेलनामा , काव्य दर्पण , साहित्यिक अर्पण ,फुलवारी ,नारी प्रकाशन , अर्णव प्रकाशन इत्यादि में प्रकाशित l कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एकल और साझा काव्यपाठ l आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी लाइव काव्यपाठ l सम्मान- नराकास शिमला द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत व सम्मानित l अर्णव प्रकाशन से "काव्य श्री अर्णव सम्मान" से सम्मानित l विशेष- "साहित्यिक हस्ताक्षर" चैनल के नाम से यूट्यूब चैनल , जिसमें स्वरचित कविताएँ, और विभिन्न रचनाकारों की रचनाओं पर आधारित "कलम के सिपाही" जैसे कार्यक्रम और साहित्यिक पुस्तकों की समीक्षा प्रस्तुत की जाती है l पत्राचार का पता- आलोक सिंह C- 20 दूरदर्शन कॉलोनी विराजखण्ड लखनऊ, उत्तर प्रदेश Copyright@आलोक सिंह "गुमशुदा"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

Total View
error: Content is protected !!