सुन री मनोरमे, अपना नव वर्ष मनना है।
सुन मनोरमे राम का नाम है, बड़ा मंगलकारी।
पत्थर को भी, द्रवित कर दे, राम नाम चमत्कारी।
भारत भूमि पर, नारी सीता, नर नारायण, और बन वारी।
अपनी स्वर्ग जैसी, जनम धरती, सब जने, आज्ञाकारी।
विश्वगुरु, भारत मैया, को एक बिंदिया लाल लगानी है।
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, को ही नव वर्ष माननी है।
बाँकी, जो जैसे करे, मनमानी में लाभ और हानि है।
हम प्राकृतिक संतुलन वाले, अपनी अलग ही कहानी है।
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