चल मनोरमे एक उम्र पूरा हुआ
चल मनोरमे एक उम्र पूरा हुआ।। अब दूसरे की दुआ राम से माँगने चले।अपने मित्रों के साथ चैतावर गाने चले।अपने- अपने बिटिया रानी,के नयनो में,राधा
चल मनोरमे एक उम्र पूरा हुआ।। अब दूसरे की दुआ राम से माँगने चले।अपने मित्रों के साथ चैतावर गाने चले।अपने- अपने बिटिया रानी,के नयनो में,राधा
सुन री मनोरमे, अपना नव वर्ष मनना है। सुन मनोरमे राम का नाम है, बड़ा मंगलकारी। पत्थर को भी, द्रवित कर दे, राम नाम चमत्कारी।
मिलता है, जब कोई भंवर किसी कलि से प्यार मेंकली हिचकिचाती है, मगरथी तो वो भी, कबसे, इस घड़ी के इंतजार में, फिर खोलती है,
मेरे गुरु, भोले भंडारी, उनके गुरु गोसाई।बज्रिका मेरी वैशाली वाली, मिथिला वाली, सीतआमाईअब सुनो जोगीरा, भाई।जोगीरा स र र र र जोगीजी, जोगीजी वाह जोगीजी,राधा,
फूल तुम्हें भेजा है….I have sent you an email,Not an email, is my heart,O my love write to me,Is it worth for you or not
सुन री मेरी मनोरमे, नव वर्ष का आना बाँकी है,हिन्द व हिंदी माँ, उर्दू जैसी मौसियों, को मनाना है। बसंत पंचमी से, माँ का पद
परीक्षा भी स्व इच्छा से देने वाले।डॉ राजेन्द्र प्रसाद के बिहार वाले।उन्हीं की ज़ुबान, में उनकी ही,बोलती बंद, कराते हैं,यूँ ही नहीँ हम, मैं तुम
कवन, बिधि करू, मुकुन्द हम, तोड़ बड़ाई,कबहुं, प्रेम, कभी करू, लड़ाई,तोड़ प्रीति, सुनु हरजाई,मोरे मन ही मन मे, हेराई।। अब, करहु सनाथ, राम रघुराई।हे, अ
हम ने दमन, बचाने, की बड़ी, कोशिशें की मुकुन्द,पर, उन्होंने दामन, न छोड़ा, कभी चलते चलते,वो जो, शामिल रहे, मेरे मरने, की ज़िद में,मुकुन्द, ख़ुदा
न काहू से ऐ यारी, न काहू से प्यार,सबके मन मे राम है, राम मैं बहे माघक बयार,आप किजूँ, अपना-अपना व्यापार,बस मुद्रा राम नाम के