उस दिन हमारे प्रेम में मानो …
ओस की ताजा ताजा हल्की भीगी
बरसात थी वह बसंत की
रोपा था हमने यहीँ बस यूँ ही
वह सरसों का पीला सा पुष्प यहीं…
प्रेम के ताजा जल समान..!
तुम कुछ कहने वाले थे शायद …
तुम्हे लगा
मैं ठहरना चाहती हूँ यहीं
तुम में ही कहीं..
पीत-सुंगधित-सरसों की लहलहाती सी यादो में..
यह मेरी हाथों की मिट्टी ऐसी…
क्या तुम्हें पता है, तुम मुझमे मेरे जैसे ..!
तुम्हारा स्पर्श पाने को ही जैसे मैं
बिछ- बिछ जाऊँगी ताजा ओस की बूंद सी
है मिलन की हर सुबह ख़ूबदुरत सी
मैं तुमसे मिलने आऊँगी ओस की ताजा बून्द बन
मैं पीली सरसों बन खिलूँगी उस पर गिर कर
तब महकने लगूंगी तुम्हारे शीतल प्रेम में…
तुम में ही कहीं तुम बनकर..
तुम्हारे दिल रूपी आंगन में मैं
मैं ही यूँ बस जाने की इच्छा लिए,
आज फिर यादे ताजा हुई लगा आज
फ़िर कहीं तुममें ही यूँ सिमट जाऊँगी..!
मानों बसंत में सरसों फुट कर सुगंध दे रही हो
रचनाकार
Author
पति-श्री पुष्पेंद कुमार,व्यवसाय -पुस्तकालयाध्यक्ष ग़ाज़ियाबाद में पिछले २५ वर्षों से पब्लिक स्कूल में कार्यरत।कृतियां-1-काव्यमंजूषा2-मातृशक्ति3-शब्दोत्सव4-अंबेडकर(जीवन संघर्ष एवं अनुभूति)4-महापुरुष5-काव्य शब्दलहर6-शब्द किलकारी(काव्यसंग्रह)7- नव कोंपले(शब्दरूप में),सम्मान-- प्राइम न्यूज़ द्वारा कलमवीर सम्मान-विक्रमशिला द्वारा विद्या वाचस्पति सम्मान-अखिल भारत हिन्दू युवा मोर्चा द्वारा सम्मान-श्रीज्योति सेवा मिशन हरिद्वार द्वारा सम्मान-आरोही संस्था दिल्ली द्वारा सम्मान-शांतिकुंज द्वारा सम्मान श्रेष्ठ अध्यापिका सम्मान- विधालय द्वारा सर्वश्रेष्ठ अध्यापिका सम्मान-विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा"कल्पना चावलास्मृति पुरुस्कार-"विश्व हिन्दी रचनाकार मंच" द्वारा उत्तर प्रदेश" महिला रत्न सम्मान"- साहित्यबोध समूह द्वारा"साहित्य मार्तण्ड"सम्मान-दी ग्रामटुडे ग्रुप द्वारा"साहित्य शक्ति" सम्मान-अनेक सहित्य समूह द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान,लेखन--अनेक समाचार पत्रों में लेख,कविताएं प्रकाशित-अनेक हिंदी पत्रिकाओं में लेख,कविताये प्रकाशित-अनेक ई-पत्र-पत्रिकाओं में लेखन प्रकाशित-अनेक साहित्यिक समूह में रचनाएं प्रकाशित,Copyright@डॉ मंजु सैनी/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |