वक्त

वक्त

वक्त ने बनाया मुझे

वक्त से दीदार करूं

वक्त के है हक में

मुझे चाहे की इंकार करे

समय का फैसला

जिसका श्रृंगार करू

जो दे मुझे वो

उससे प्यार करू

कहां फैसला चलता यहां

मुकर्रर है किस्मत, संभलता यहां

गर्दिशों में है जिंदगी

खिलखिला के गम भुलाता यहां

तू ना सोचे ये, मैं खुशनसीब हूं

तूफानों से कश्ती निकालता यहां

मेरी सोच कदम-दर-कदम बदलती रही

तू ना सोच सुमन-सा यहां ,बदलता रहा

गर्दिशों में गिर गिर के संभलता रहा

देख कर समय बदलता रहा

आदत है मेरी बदलती रही

समय ने कहा जिसे वहीं सही

वक्त के अनुसार देखता जमाने को

हो तू या फसाना जमाने की

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रचनाकार

Author

  • शंकर सुमन

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