लय बनकर तुम छा जाना

जीवन के सुंदर सपनों की बात बताने आ जाना

रात कभी जब बीते कोमल लाली बनकर छा जाना

मैंने तुमसे जो भी पाया वो श्रद्धा सिक्त सुमनसा था

जीवन मेरा दीपशिखा हो वह अधिकार जता जाना

तुम तुलसी के बिरवा से कुछ और निरापद भाव लिए

आँगन की देहरी तक आकर मुझको प्रेम सिखा जाना

यह गीत मेरा व्यापार नहीं है अनुबंध तुम्हारा मेरा है

भावों के कोमल गीतों में लय बनकर तुम छा जाना

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रचनाकार

Author

  • डॉ अंजू सिंह परिहार

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