रंग इन्द्रधनुष

धरती का हरापन सदा से बुलाते रहे मुझे
मैं उसके आँचल में दूब बनकर पसर गया ,
नीला विस्तृत आकाश हुर्र बुलाता रहा मुझे
मैं उसमें घुसकर नीलकंठ हो गया ,
मैं उनकी गली के गुलाबी रंग बीच
प्रेम प्याला पीकर महक गया ;
युवा बसंत को सजाते हुए कभी
काँपे नहीं मेरे हाथ लेकिन
अपनी बेटी को विदा करते हुए रो रहा हूँ |

रंगों की भाषा समझने निकला था मैं
अपने जीवन का कोरा कागज़ लेकर
वक्त के मौसम रंगते रहे मुझे और
अंत में बचा तो सिर्फ स्याह बुढ़ापा ,
रंगों से संवाद करने घुस पड़ा था मैं
सतपुड़ा के घने जंगलों सी दुनिया में
डर गया मैं गांवों को
शहरी लिबास पहनते देखकर |

समय के पुस्तकालय में नहीं पाया मैंने
हवा – पानी का रंग लेकिन
इसके सिर फुटौव्वल का रंग लाल देखा ,
गिरगिट और वैश्या के रंग बदलने को
मैंने दूध – भात दिया हुआ है लेकिन
आम लोगों के बदलते रंग देखकर
सेंसेक्स के सांड की तरह बिदक जाता हूँ मैं |

जिंदगी का इन्द्रधनुष
रँग बाँटकर गुम हो चुका था
मैं अपने गाँव में नदी किनारे
दहकती चिता में शांति से लेटा रहा
लोग लौट रहे थे अपनी जिंदगी का रंग ढूँढने
मुझे मेरे गाँव का देहाती रंग सदा से भाया है
मेरा आखिरी गुमान यह देखकर हैरान था कि –
किसी के मर जाने से दुनिया नहीं थमती |

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रचनाकार

Author

  • रमेश कुमार सोनी

    जन्म तिथि-11.11.1966, सम्प्रति-व्याख्याता, पता-एल आई जी 24 कबीर नगर,फेज 2, रायपुर छत्तीसगढ़, पिन-492099, लेखन विधा-कविता, हाइकु, ताँका, सेदोका, कहानी, समीक्षा, आलेख। विविध राष्ट्रीय पत्र -पत्रिकाओं में कई सौ रचनाएँ प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तकें - 1 रोली अक्षत- 2004 छत्तीसगढ़ का प्रथम हिंदी हाइकु संग्रह वैभव प्रकाशन-रायपुर 2 पेड़ बुलाते मेघ-2018 हिंदी हाइकु संग्रह सर्वप्रिय प्रकाशन-दिल्ली सर्वाधिक चर्चित एवं समीक्षित संग्रह। 3 हरियर मड़वा-2019 विश्व का प्रथम छत्तीसगढ़ी ताँका संग्रह वैभव प्रकाशन रायपुर 4 झूला झूले फुलवा-2020 विश्व का प्रथम हिंदी ताँका संग्रह इ पुस्तक अक्षरलीला प्रकाशन रायपुर किंडल अमेज़न पर 5 गुरतुर मया-2021 छत्तीसगढ़ी का सर्वाधिक चर्चित हाइकु संग्रह श्वेतांशु प्रकाशन-दिल्ली, पुरस्कार/सम्मान- राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता एवं साहित्यकार, विविध क्षेत्रों में कई दर्ज़न राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के सम्मान प्राप्त |

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