हम ने दमन, बचाने, की बड़ी, कोशिशें की मुकुन्द,
पर, उन्होंने दामन, न छोड़ा, कभी चलते चलते,
वो जो, शामिल रहे, मेरे मरने, की ज़िद में,
मुकुन्द, ख़ुदा बन गये, वो, मेरे, रहते रहते।
अपनी, उम्मीदे, उल्फत का, जरा हाल,
देखिये,
जान को मेरी जान से दिक्कत है, ऐसे,
जैसे कनक, कणक से, जहरीली, होबे,
मुझ अधमरे, को मारना न वो चाहे,
जीवन में, अपने रुसवाई, के डर से।
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