मर रहा होता है

आपके अंदर का मर्द मर रहा होता है ,
जब कोई मनचला,
किसी लड़की का रस्ता रोक,
किसी लड़की को,
दरंदगी का छूरा भोंक ,
मुस्कुरा रहा होता है,
और एक कथित मर्द,
मुर्दा बन ,
सब देख रहा होता है l
तो सच मानिये,
आपके अंदर का मर्द,
नपुंसक बन
मर रहा होता है ll

बस,ऑटो, ट्रेन की सीट पर,
जब कोई मर्द,
महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर ही बैठ,
हद से गुज़र,
किसी महिला के अंगों को
इरादतन गंदी सोच के साथ,
छूने की कोशिश करता है l
और आप सामने या बाजू वाली सीट पर बैठ
दिवा स्वप्न देख रहे होते हैं l
औरतों की शालीनता के खिलाफ़ वाले गाने,
जोर जोर से सुन रहे होते हैं ,
तो सच मानिये,
आपके अंदर का मर्द,
नपुंसक बन
मर रहा होता है ll

कोई भ्रूण संसार में आने से पहले,
भ्रूण हत्या का शिकार हो
अलविदा कह चुका होता है l
या
जब आपके घर या कहीं जान पहचान में,
बेटी पैदा होने की ख़बर सुनकर,
आपका या आपके जैसे किसी मर्द का
चेहरा उतर जाता है l
तो सच मानिये,
आपके अंदर का मर्द,
नपुंसक बन
मर रहा होता है ll

जब एक बेटी अपना स्कूल,
लड़की होने की वजह से छोड़ रही होती है l
अपने मज़बूत पंखों को ,
स्वयं से तोड़ रही होती है l
जब वह घर से निकलने से पहले
सोचती है , लाखों बातें ,
समझने की कोशिश करती है भेद,
दिन और रात के मर्दों के बीच का l
और खींच लेती है बढ़े हुए कदम,
घर के अन्दर ही l
तो सच मानिये,
आपके अंदर का मर्द,
नपुंसक बन
मर रहा होता है ll

किसी की बेटी,
अपना घर छोड़,
किसी एक उम्मीद को लिए,
बन बहू आती है ,
लेकिन दहेज़ के लोभ में
उसकी निर्मम हत्या हो जाती है
और आप मूक दर्शक बन,
उसके चरित्र पर लांछन लगा रहे होते हैं
तो सच मानिये,
आपके अंदर का मर्द,
नपुंसक बन
मर रहा होता है ll

जब एक औरत के नाम पर
मर्द प्रधानी कर रहा होता है l
उसका हक मार कर,
आगे बढ़ रहा होता है l
और बना रहा होता है,
उसके जाली हस्ताक्षर,
तो सच मानिये,
आपके अंदर का मर्द,
नपुंसक बन
मर रहा होता है ll

और हम सब मर्द बन
मर्द होने के गुण की लाश उठा,
आगे बढ़ते रहते हैं l
रखते रहते हैं, लाखों औरतों के लिए
खाली जगह पर अपने पैर,
और मर्द होने का गुण गान कर
खुश हो रहे होते हैं ll
लेकिन सत्य ये ही है कि..
उस समय भी
मर्द नपुंसक बन मर रहा होता है l

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रचनाकार

Author

  • आलोक सिंह "गुमशुदा"

    शिक्षा- M.Tech. (गोल्ड मेडलिस्ट) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र, हरियाणा l संप्रति-आकाशवाणी रायबरेली (उ.प्र.) में अभियांत्रिकी सहायक के पद पर कार्यरत l साहित्यिक गतिविधियाँ- कई कवितायें व कहानियाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं कैसे मशाल , रेलनामा , काव्य दर्पण , साहित्यिक अर्पण ,फुलवारी ,नारी प्रकाशन , अर्णव प्रकाशन इत्यादि में प्रकाशित l कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एकल और साझा काव्यपाठ l आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी लाइव काव्यपाठ l सम्मान- नराकास शिमला द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत व सम्मानित l अर्णव प्रकाशन से "काव्य श्री अर्णव सम्मान" से सम्मानित l विशेष- "साहित्यिक हस्ताक्षर" चैनल के नाम से यूट्यूब चैनल , जिसमें स्वरचित कविताएँ, और विभिन्न रचनाकारों की रचनाओं पर आधारित "कलम के सिपाही" जैसे कार्यक्रम और साहित्यिक पुस्तकों की समीक्षा प्रस्तुत की जाती है l पत्राचार का पता- आलोक सिंह C- 20 दूरदर्शन कॉलोनी विराजखण्ड लखनऊ, उत्तर प्रदेश Copyright@आलोक सिंह "गुमशुदा"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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