भूलना भी एक बेहतर आदत है साहब।
सबकुछ याद रह जाना भी कोई अच्छी बात नहीं।
दरअसल कुछ लोगों की स्मृति इतनी बढ़िया होती है कि वो जीवन की हरएक अच्छी बुरी घटना और अपनी दिनचर्या की एक एक बात को उसी अंदाज में याद रखते हैं ,कभी नहीं भूलते बल्कि जस का तस याद रखते हैं।इसे आप बेहतर स्मृति मानते हैं तो थोड़ा रुक कर विचार करना जरूरी होगा ।मनोविज्ञान में इस प्रकार से हर बात याद रखने के सिंड्रोम को “हायर सुपीरियर आटोबायोग्राफिकल मैमोरी” यानि “हायपरथाइमेसिया”
कहा जाता है ।कई लोग इसे बेहतरी स्मृति की खूबी मानते हैं लेकिन मनोचिकित्सकों की नज़र में इससे अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होने का खतरा हो सकता है।इस प्रकार के लोग सदा अवसाद में रहते हैं और किसी व्यक्ति के व्यवहार और घटनाओं का विश्लेषण करने में उनकी स्मृति में पड़ी घटनाओं का साक्ष्य सहयोग उन्हें जेहनीतौर पर बीमार बनाता है ।ज्यादा याद रखना भी बुरी बात है ।आस्ट्रेलिया ब्रिस्बेन में रहने वाली रेबेका शेरॉक जनवरी 2004 के बाद हर दिन की घटनाएं जुबानी याद है।मतलब इतना याद है कि उन्होंने किस दिन क्या खाया था ,यह भी तत्काल बता सकती हैं।एक शोध में पता चला कि दुनिया में ऐसे लोग गिनती के हैं जिनको सबकुछ याद रह जाता है ।केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्रेग स्टार्क का कहना है कि “हाइपरथईमेसिया”वाले लोगों को बेहतर आई क्यू वाले लोगों में शुमार नहीं किया जा सकता क्योंकि ये अलग विषय है।मनोवैज्ञानिक इस सिंड्रोम को एक शाप कहते हैं ।खुद रेबेका शेरॉक इसे अपनी जिंदगी का शाप कहती है ।बकौल शेरॉक ये कोई गॉड गिफ्ट नहीं बल्कि एक अभिशाप है इसके जिंदगी में फायदे कम और नुकसान ज्यादा है ।व्यक्ति को समय के साथ चीजों को भूल जाना चाहिए ।इससे दिमाग को निर्भीकता और शंका हीनता का वरदान मिलता है जो स्वस्थ जीवन मे बड़ी मदद करता है ।
रचनाकार
Author
त्रिभुवनेश भारद्वाज रतलाम मप्र के मूल निवासी आध्यात्मिक और साहित्यिक विषयों में निरन्तर लेखन।स्तरीय काव्य में अभिरुचि।जिंदगी इधर है शीर्षक से अब तक 5000 कॉलम डिजिटल प्लेट फॉर्म के लिए लिखे।