बाबू वीर कुँवर सिंह के प्रति

है समष्टि चेतना का नाम कुँवर सिंह

आदमी की मुक्ति का पैगाम कुँवर सिंह

पुत्र वही मातृ-क्षीर की रखे जो लाज

मातृभूमि-भक्ति का परिणाम कुँवर सिंह

जलती हुई मशाल अँधेरे के वक्ष पर

है अनय से न्याय का संग्राम कुँवर सिंह

हर जुल्म के विरुद्ध पाञ्चजन्य-घोष है

पौरुष का अलंकार,सत्यकाम कुँवर सिंह

हे ज्योतिपुंज,शक्ति-स्रोत,चिर युवा,अमर

मेरा है नमन आपको शतबार कुँवर सिंह!

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रचनाकार

Author

  • डॉ रवीन्द्र उपाध्याय

    प्राचार्य (से.नि.),हिन्दी विभाग,बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर copyright@डॉ रवीन्द्र उपाध्याय इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है| इन रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है|

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