प्यासी धरती का आमंत्रण
बादल आये !
मगन मयूरों का मधु नर्तन
बादल आये !
अम्बर से अमृत छहरेगा
रसा-रूप नित-नित निखरेगा
मुरझाये सपने हरिआये
गीतिल-गीतिल गूँगा आँगन
बादल आये !
बारहमासा कृषक- अधर पर
झूले पर कजरी का मधु स्वर
झींगुर की झंकार निराली
मुदित दादुरों का सहगायन
बादल आये!
हलचल तन्वंगी तटिनी-तन
खिंचे चले आते प्रेमी घन
खेतों में , रेतों में रिमझिम
भूरी मिट्टी चन्दन-चन्दन
बादल आये !
भींगी-भींगी यह पुरवाई
सुधियों ने ली है अँगड़ाई
बाहर-बाहर भींग रहा तन
भीतर भींगे मन का मधुवन
बादल आये !
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