बढ़े चलो

मिलती है असफलता एक बार में,

तो उससे भी कुछ सीखा होगा उस बार में

उस अनुभव को न जानें दो

बेकार में

क्या कमी रही 

जो मिला नहीं वांछित,

मन रखो उसमें अब भी इच्छित।

बढ़े चलो बढ़े चलो

आरंभ से नही अनुभव से चलो ।।

ध्यान रहे मान रहे और यह आस रहे ,

श्वास रहे आभास रहे और

यह भी विश्वास रहे ।

मिलेगा श्रेष्ठ ही नही ,

सर्वश्रेष्ठ भी ।।

जिससे बढ़ती हुई तुम्हरी शान रहे ।।

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