फूल

नयनाभिराम/बहुवर्णी

विविधगंधी/मनोहारी फूल

मुरझा जाते हैं एक दिन

धूमिल पड़ जाता है रंग

सूख जाता है मकरन्द

झड़ जाती हैं पंखुरियाँ !

फिर भी , मरते नहीं फूल

तितलियों की यादों में

देखी जा सकती है उनकी उपस्थिति !

फूल जीवित रहते हैं हमेशा

अपनी ख़ुशबुओं में !

हवा में घुल-मिल कर ख़ुशबुएँ

अपने फूलों का पता देती हैं !!

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रचनाकार

Author

  • डॉ रवीन्द्र उपाध्याय

    प्राचार्य (से.नि.),हिन्दी विभाग,बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर copyright@डॉ रवीन्द्र उपाध्याय इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है| इन रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है|

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