जब पैदा हुआ था,
पिता के
चमड़े के जूतों में थी चमक l
उसके जिस्म से आती थी ,
ऐशों आराम वाली महक l
माँ रानी सी रहती थीं,
पिता राजा से रहते थे l
गम कितना भी मजबूत हो,
घर की दहलीज़ से बाहर ही रहते थे l
फिर मैं बड़ा होता गया,
पिता की,
मेरी ख्वाहिशें पूरी करने की जिद्द की तरह l
मेरी इच्छाये फैलती गई,
अनंत आकाश की तरह l
धीरे धीरे मेरी और भाई बहनों की,
इच्छाओं से वो घिरने लगे l
जिम्मेदारी में, बहुत तेजी से
बूढ़े से दिखने लगे l
अब उनके जूतों में,
वह चमक न दिखती थी l
चेहरे पर हसी,
हम सबके सामने ही खिलती थी l
सारे हिसाब किताब,
डायरी में कैद होने लगे l
हम लोग भी तेज़ी से बड़े होने लगे l
जूतों के सोलों की,
ऊँचाई कम होने लगी l
फ़ैशन से मजबूती की तरफ
फितरत होने लगी l
स्कूल, टयूशन, विद्यालय
में सैलरी बटने लगी l
बेटी की शादी की चिंता,
झुर्रियां बन,
चेहरे पर दिखने लगी l
जूतों पर महीनों में,
घर पर ही पॉलिश होने लगी l
मोजों से,
बेबसी जिम्मेदारियो की,
खिड़की दिखने लगी l
दहेज़ ने पिता को,
जूतों से चप्पल में ला दिया l
ये समाज, व्यवस्था,
जिम्मेदारियां,
पिता के जूतों की चमक खा गया l
उम्र के तजुर्बे,
बुढ़ापे में जूतों में दिखने लगे l
ठिठुरते मौसम में,
मोजों में सिर्फ रहने लगे l
आज पिता के जूतों में पैर डाला तो,
उसकी यादों की तिज़ोरी में झाँका तो,
ये महसूस हुआ कि
ये जूते, पिता का आईना होते हैं
ये जूते, पिता का आईना होते हैं ll
रचनाकार
Author
शिक्षा- M.Tech. (गोल्ड मेडलिस्ट) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र, हरियाणा l संप्रति-आकाशवाणी रायबरेली (उ.प्र.) में अभियांत्रिकी सहायक के पद पर कार्यरत l साहित्यिक गतिविधियाँ- कई कवितायें व कहानियाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं कैसे मशाल , रेलनामा , काव्य दर्पण , साहित्यिक अर्पण ,फुलवारी ,नारी प्रकाशन , अर्णव प्रकाशन इत्यादि में प्रकाशित l कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एकल और साझा काव्यपाठ l आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी लाइव काव्यपाठ l सम्मान- नराकास शिमला द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत व सम्मानित l अर्णव प्रकाशन से "काव्य श्री अर्णव सम्मान" से सम्मानित l विशेष- "साहित्यिक हस्ताक्षर" चैनल के नाम से यूट्यूब चैनल , जिसमें स्वरचित कविताएँ, और विभिन्न रचनाकारों की रचनाओं पर आधारित "कलम के सिपाही" जैसे कार्यक्रम और साहित्यिक पुस्तकों की समीक्षा प्रस्तुत की जाती है l पत्राचार का पता- आलोक सिंह C- 20 दूरदर्शन कॉलोनी विराजखण्ड लखनऊ, उत्तर प्रदेश Copyright@आलोक सिंह "गुमशुदा"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |