जग में कुछ भी जो व्याप्त है,
केवल वही नहीं पर्याप्त है ।
होगा उसमे कुछ तो बदलाव,
चाहे हो जिसमें तुम्हारी
अरुचि या लगाव ।।
बीज से पौधा होता है,
अपने मूल रूप को खोता है ।
यही है प्रकृति का अटल विधान,
नहीं डाल सकता कोई व्यवधान ।।
पौधे से बनता विशाल तरु,
जिनसे जीवो की जीविका शुरू ।
यूं कहें मिट्टी से मानव बना,
लेता मिट्टी में अंततः पनाह ।।
ऐसे ही परिवर्तन का नियम बना,
जिनसे जकड़ा हर जीव घना ।
गीता में यह वर्णन है,
संसार का नियम परिवर्तन है ।।
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