तुम मिले ऐसे

तुम मिले ऐसे, कोई मिलता कहाँ ऐसे,
जिन्दगी नाचती जैसे, धड़कनें गाती हो जैसे ll
बरसती बारिश की बूँदें, मयूर नाचता हो जैसे ,
सूरज उगता हो जैसे, रौशनी बिखेरता हो जैसे ll

तुम दिखे ऐसे…… कोई दिखता कहाँ ऐसे ,
खूबसूरती पुष्पों की हो जैसे, सूरत बच्चों की हो जैसे l
मोहब्बत हो जैसे तुमसे , लकीरें हाथों में हो जैसे ll
बहकता हो बदन जैसे , बसा हो आँखों में कोई जैसे ll

तुम बोलते ऐसे ……कोई बोलता कहाँ ऐसे ,
नज़ाकत हो हवा में जैसे , इबादत हो दुआ में जैसे l
शरारत हो अना में जैसे , सराफत हो अदा में जैसे ll
शहद से लबरेज़ हो शब्द, बातों से फूल हो झरते जैसे ll
तुम मिले ऐसे,
तुम दिखे ऐसे,
तुम बोलते ऐसे
कोई मिलता कहाँ ऐसे ,
कोई दिखता कहाँ ऐसे ,
कोई बोलता कहाँ ऐसे ll

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रचनाकार

Author

  • आलोक सिंह "गुमशुदा"

    शिक्षा- M.Tech. (गोल्ड मेडलिस्ट) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र, हरियाणा l संप्रति-आकाशवाणी रायबरेली (उ.प्र.) में अभियांत्रिकी सहायक के पद पर कार्यरत l साहित्यिक गतिविधियाँ- कई कवितायें व कहानियाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं कैसे मशाल , रेलनामा , काव्य दर्पण , साहित्यिक अर्पण ,फुलवारी ,नारी प्रकाशन , अर्णव प्रकाशन इत्यादि में प्रकाशित l कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एकल और साझा काव्यपाठ l आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी लाइव काव्यपाठ l सम्मान- नराकास शिमला द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत व सम्मानित l अर्णव प्रकाशन से "काव्य श्री अर्णव सम्मान" से सम्मानित l विशेष- "साहित्यिक हस्ताक्षर" चैनल के नाम से यूट्यूब चैनल , जिसमें स्वरचित कविताएँ, और विभिन्न रचनाकारों की रचनाओं पर आधारित "कलम के सिपाही" जैसे कार्यक्रम और साहित्यिक पुस्तकों की समीक्षा प्रस्तुत की जाती है l पत्राचार का पता- आलोक सिंह C- 20 दूरदर्शन कॉलोनी विराजखण्ड लखनऊ, उत्तर प्रदेश Copyright@आलोक सिंह "गुमशुदा"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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