तुम्हारे साथ
आता है एक मौसम मेरे पास
रंग-रूप-सुवास का मौसम
तृप्ति-विश्वास का मौसम
जीवन के गहरे स्वीकार-सत्कार का मौसम
मौसम अछोर संवादों का
मयूरपंखी यादों का
व्यथा-विराग का मौसम
संकल्पों की आग का मौसम !
मैं , तब देह नहीं
केवल मन हो जाना चाहता हूँ
समाहित कर सकूँ स्वयं में
समग्रता मौसम की
क्यारी नहीं,चमन नहीं
वन , महावन हो जाना चाहता हूँ !
तुम हो
संग यह मौसम है
फिर, पाँवड़े हैं पत्थर पथ के
कोई भी दूरी मंज़िल की कम है
साथी! बहुत कम है ।
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