तुम्हारे साथ

तुम्हारे साथ

आता है एक मौसम मेरे पास

रंग-रूप-सुवास का मौसम

तृप्ति-विश्वास का मौसम

जीवन के गहरे स्वीकार-सत्कार का मौसम

मौसम अछोर संवादों का

मयूरपंखी यादों का

व्यथा-विराग का मौसम

संकल्पों की आग का मौसम !

मैं , तब देह नहीं

केवल मन हो जाना चाहता हूँ

समाहित कर सकूँ स्वयं में

समग्रता मौसम की

क्यारी नहीं,चमन नहीं

वन , महावन हो जाना चाहता हूँ !

तुम हो

संग यह मौसम है

फिर, पाँवड़े हैं पत्थर पथ के

कोई भी दूरी मंज़िल की कम है

साथी! बहुत कम है ।

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रचनाकार

Author

  • डॉ रवीन्द्र उपाध्याय

    प्राचार्य (से.नि.),हिन्दी विभाग,बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर copyright@डॉ रवीन्द्र उपाध्याय इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है| इन रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है|

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