तुम्हारी याद की आहट कोई किस्सा बताती है
ये घुलकर साँस में मेरी नई दुनिया सजाती है
तुम्हारी याद ही शायद है वो दीवार, सूनी सी
जहाँ कुछ अक्स दिखते हैं जहाँ परियाँ नहाती हैं
तुम्हारी याद की ख़ुशबू से मेरी आरज़ू महके
महकती है मेरी धड़कन, ये धड़कन भी सुनाती है
बहुत ही दूर हो शायद, तभी तो याद आती है
तुम्हारा नाम लेती है, मेरे सपने सजाती है
तुम्हारी याद संदल है जो मेरी रूह में घुलकर
कभी नग़़मे सुनाती है, कभी कुछ गीत गाती है
तुम्हारी याद धड़के तो हर इक लम्हा धड़कता है
किसी एहसास के दर पे यह मुझको खींच लाती है
तुम्हारी याद की करवट तुम्हारी याद की ख्वाहिश
तुम्हारी याद नींदों में जो मुझको यूँ जगाती है
तुम्हारी याद की दस्तक तुम्हारी साँस की सिलवट
मुझे छूकर गुजरती है कभी यह मुस्कुराती है
तुम्हारी याद की जुंबिश सारी रात महकी है
वो महकी सी हवा देखो मुझे हँसकर बुलाती है
नजारे गुनगुनाते हैं कोई सरगम फ़िज़ाओं में
तुम्हारी याद ठंडी सी सँवर कर पास आती है
मेरी सांसो की लय में भी तुम्हारी याद बस्ती है
पकड़कर हाथ ये मेरा
तुम्हारे पास लाती है