1
शोख अदाएँ
तितली ठुमकती
गोदभराई
कलियाँ शर्माती हैं
माली की बाँछें खिली ।
2
भारी हैं- पाँव
फूलों-तितलियों के
खबरें उड़ी
सौंदर्य बिखरा है
लोग बलैयां लेते ।
3
निगल जाती
भूख की लंबी जीभ
सारी हेकड़ी
क्या-क्या नहीं कराती?
क्या-क्या नहीं दिखाती?
4
भोर की हवा
दूबों में ओस छींट
नींद भगाए
गुदगुदा के भागे
जागे,भूख सताए ।
5
चेहरों पर
पता नहीं चस्पा है !
शहरी भीड़
बेनाम हैं चेहरे
पहचान ढूँढ़ते ।
6
स्वाद चखते
धूप,मिट्टी, हवा का
पौधे झूमते
प्रकृति अन्नपूर्णा
भूख मिटाती सदा ।
7
सत्य अकेला
खड़ा रहा निडर
झूठ की बाढ़
बहा ले जाती सदा
गाँव संग साहस ।
8
सूराख फाँद
चाँद देखने आया
दूसरा चाँद
कुटिया वाली झेंपी
नभ वाला शर्माया।
9
होली दुल्हन
फागुन है कहार
रंग-रंगीली
भाभी करे ठिठोली
जले सारे पड़ोसी।
10
भौरों में भ्रम
बाग में तुम आयीं
कली शर्माई
फूलों की चर्चा बंद
हुस्न बगर गया।
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