तमन्नाएं
हसरतें आरजुओं का
कोई अंत नहीं
संसारी,वीतरागी
इससे अछूता कोई सन्त नहीं
एक के बाद एक
नित नई अनेक
कामनाओं की कतार है
इस मामले में कोई
किनारें नहीं
सबके सब मझधार है
एक भी नही मिलता
जिसने अभीप्साएं समेट ली है
हर एक नज़र में चिड़ियां की आंख
और ख्वाबों की पोटली है
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