जो खो गई हैं चाहतें
जो खो गई हैं चाहतें उनको तलाश दो
मोहब्बत की राह में हूँ कोई खराश दो
मासूमियत को ही मेरी संगशार कर दिया
पत्थर सा हो गया हूं मुझको तराश दो
देखे जाने की संख्या : 388
Copyright@डॉ अंजू सिंह परिहार/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |