गीत-आईना बता तू
आईना बता तू
ये क्या सिलसिला है
हूं मैं क्या, क्या तू बता रहा है
मुझसे क्या पूछते हो
तेरे कर्मों का सिला है
जो है तू
वो दिखा रहा है
चाहता कुछ और
कुछ और हो रहा है
गर्दिश में है जिंदगी
मौसम का सिला है
मिलता वही जो
किस्मत ने दिया है
आईना बता तू
ये क्या सिलसिला है
हूं मैं क्या ,क्या बता रहा है
मुक्कदर में है क्या
क्या दिखा रहा है
मेरी चाहतों को
क्यो भटका रहा है
आईना बता तू
ये क्या सिलसिला
हूं मैं क्या,क्या तू बता रहा है
-शंकर सुमन
मधेपुरा (बिहार)
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