कुछ जिम्मेदारियों की चादर ओढ़े , चलो गणतंत्र मनाते हैं ।
दिल को कर इन्द्रधनुषी , चलो तिरंगा ध्वज फैराते हैं ।।
भूल न जाएँ ताकत अपनी, भूल न जाएँ चाहत अपनी ,
देश प्रथम सदियों से अब तक, इसको ध्रुव तारे सा चमकाते हैं ।
हम है तो, ये देश’ के नायक, जुबां बनी सबकी है गायक ,
लोकतंत्र है लोगों से ही , चलो लोक तंत्र का पर्व मनाते हैं ।
कुछ जिम्मेदारियों की चादर ओढ़े , चलो गणतंत्र मनाते हैं ।।
दिल को कर इन्द्रधनुषी , चलो तिरंगा ध्वज फैराते हैं ।।
जाति धर्म , ये ऊँच नीच, सब कुछ तो ही मिट जाना है ।
कितना क्षण भंगुर है ये सब , इंसानियत ही रह जाना है ।
कर्म हमेशा फल देता है, ज्ञान अनन्त का मर्म देता है ।
स्वार्थ की बेंड़ी पिघला कर, चलो खुशियों को फैलाते हैं ।
कुछ जिम्मेदारियों की चादर ओढ़े , चलो गणतंत्र मनाते हैं ।।
दिल को कर इन्द्रधनुषी , चलो तिरंगा ध्वज फैराते हैं ।।
संविधान ने ताकत दी है , माना अपनों ने कई आफत दी है ,
लोक तंत्र की लेकिन खूबसूरती, संविधान ने ही राहत दी है ।
नियम बने, कानून बने हैं, सभी एक ही सूत्र पिरें हैं ।
सामाजिक खाईं हैं माना , लेकिन हम सब संग बढ़ें हैं ।
जन जन तक उनके अधिकार बता कर,चलो उनका जीवन हर्षाते हैं ।
कुछ जिम्मेदारियों की चादर ओढ़े , चलो गणतंत्र मनाते हैं ।।
दिल को कर इन्द्रधनुषी , चलो तिरंगा ध्वज फैराते हैं ।।
देखो कोई छूट न जाए, अपनों को कोई भूल न जाए ,
जाति लिंग और उम्र में फस कर, आँखों पर कोई धूल न छाए ,
लाल रंग का खून सभी का , एक जैसा इतिहास सभी का ,
कुर्बानी हम देशभक्तों की, तुमको याद दिलातें हैं ।
कुछ जिम्मेदारियों की चादर ओढ़े , चलो गणतंत्र मनाते हैं ।।
दिल को कर इन्द्रधनुषी , चलो तिरंगा ध्वज फैराते हैं ।।