ख्वाबों की तन्हाई भी
यादों का मौसम लौटा और ख्वाबों की तन्हाई भी
मद्धम सा इक चाँद मिला और आँखों में परछाई भी
साहिल पर कुछ शंख मिले थे यादों के कुछ मोती भी
मेहंदी की खुशबू वादी में साथ मिली रानाई भी
लम्हा लम्हा वक्त रिस गया मौसम की दहलीजों पर
पलकों पर कुछ आँसू पाए नींद मिली सौदाई सी
खिली धूप में फूल खिले थे वह मंज़र भी ठहर गया
बेचेहरा उम्मीद मिली है यह कैसी दनाई थी
शाम के साए दूर तलक थे आँगन भी आँधियारा था
और सफर की राहों में यह कैसी रुसवाई थी
यादों की बारिश में अब तो सारा आँगन भीग गया
ठंडी ठंडी हवा चले और रात मिले हरजाई सी
एक पुराने मौसम के दर यादों ने फिर दस्तक दी है
यादों की खुशबू महकी और पत्तों से पुरवाई भी
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