ख्याब

ख्याब

आये ख्याब में मेरे,लिए मुँस्कान होठों पर
अब न रहा अख्तियार मेरा, मेरे सासों पर
मशहूर हो गया मै भी हुस्न की गलियों में
मैैने गजल पढ़ा है जबसे तेरे जुँल्फो पर
कह रही थी वो,गजल अच्छा लिखा रौशन
यकीन करना पड़ा मुझको उनके बातो पर
फुलो पर जबसे तेरा अक्स है आया
मंडराने लगे है भवरे खिलते साखो पर
इश्क सर चढ़कर बोलता है देख ली मैने
मेरे नाम की मेहंदी सजा ली है हाथो पर
नही कोई हँस्ती मेरा,मै अदना सा शायर हुँ
बस लिखा है मैने गजल तेरे रूखसारो पर
जँमी का चाँद कह दिया जब उसे मैने
चाँद भी इतराने लगा है आसमानो पर

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रचनाकार

Author

  • राजीव रंजन रौशन

    राजीव रंजन रौशन पटना बिहार Copyright@राजीव रंजन रौशन / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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