मेरे बाद मेरे गीतों की का एक सुंदर संसार बसाना
करुण वेदना की बेदी पर अमर प्रेम का दीप जलाना
मेरा जीवन एक कथा सा लिए समर्पण की अभिलाषा
आज तुम्हें कहती हूं मैं फिर सपनों की वो सुंदर भाषा
युग युग से जगती आंखों में जीवन की कविता उपजाना
करुण वेदना की बेदी पर अमर प्रेम का दीप जलाना
गीत अभी जो गाय ना थे बस तुमको ही टेर रहे थे
विस्म्रतियो के वो गहरे तम ज्योति शिखा को घेर रहे थे
पीड़ा कि वह करुण कथाएं फिर से पूरी करते जाना
करुण वेदना की बेदी पर अमर प्रेम का दीप जलाना
मैंने तुम्हें गीत रचे और सपनों का संसार सुरीला
पतझर को मधुमास बनाया आमंत्रण भी रचा सजीला
नयनों में विश्वास सजाकर निश्वासों का अर्थ बताना
करुण वेदना की बेदी पर अमर प्रेम का दीप जलाना
यह अश्रु नहीं करुणा मोती हैं ये मेरी सौगात अमर है
जीवन का संपूर्ण सत्य है और प्रणय का स्वप्निल घर है
बसंती इस ऋतु का मोहक वैभव तुम हर बार सजाना
करुण वेदना की बेदी पर अमर प्रेम का दीप जलाना