कमजोर

कमजोर कौन है!
स्त्री या पुरुष!
दोनों!
या फिर कोई नहीं!

क्या कमज़ोर होना,
देह या लिंग आधारित होता है !
या कमजोर होना स्वभाव है !
या कमजोर होना एक सोच है !

जब शेर दो कदम पीछे हो रहा हो ,
दुश्मन, आपकी ऊर्जा को ,
डिफेंसिव होकर,
ख़राब कर रहा हो !
सेनायें, आक्रमण के लिए पीछे हट रही हों l
तुमको थोड़ा थोड़ा
जीता हुआ महसूस कराकर ,
अपने जाल में घेर रहीं हो l

फिर अचानक से माहौल बदलने से लगे,
जीती बाज़ी हाथ से निकलने लगे l
तो कमज़ोर सा लगने वाला,
मजबूत हो जाता है l
वो मजबूत सा लगने वाला
चूर जोर हो जाता है l

इसलिए कमजोर शायद वक्त होता हो ,
और कमज़ोर कोई उतनी ही देर रहता है,
जितनी देर उसके पहलू में ठहरता हो ll

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रचनाकार

Author

  • आलोक सिंह "गुमशुदा"

    शिक्षा- M.Tech. (गोल्ड मेडलिस्ट) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र, हरियाणा l संप्रति-आकाशवाणी रायबरेली (उ.प्र.) में अभियांत्रिकी सहायक के पद पर कार्यरत l साहित्यिक गतिविधियाँ- कई कवितायें व कहानियाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं कैसे मशाल , रेलनामा , काव्य दर्पण , साहित्यिक अर्पण ,फुलवारी ,नारी प्रकाशन , अर्णव प्रकाशन इत्यादि में प्रकाशित l कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एकल और साझा काव्यपाठ l आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी लाइव काव्यपाठ l सम्मान- नराकास शिमला द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत व सम्मानित l अर्णव प्रकाशन से "काव्य श्री अर्णव सम्मान" से सम्मानित l विशेष- "साहित्यिक हस्ताक्षर" चैनल के नाम से यूट्यूब चैनल , जिसमें स्वरचित कविताएँ, और विभिन्न रचनाकारों की रचनाओं पर आधारित "कलम के सिपाही" जैसे कार्यक्रम और साहित्यिक पुस्तकों की समीक्षा प्रस्तुत की जाती है l पत्राचार का पता- आलोक सिंह C- 20 दूरदर्शन कॉलोनी विराजखण्ड लखनऊ, उत्तर प्रदेश Copyright@आलोक सिंह "गुमशुदा"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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