इसको प्रनमन

पावन धरती यह बिहार की

इसको प्रनमन !

वैशाली ने अखिल विश्व को

नव गणतंत्र दिया है

महावीर ने मानवता को

अमृत मंत्र दिया है

सत्य- अहिंसा,त्याग -तोष का

यहाँ शुभ सदन।

ज्ञान-भूमि यह गौतम की है

चिंतन- दर्शन – मंडित

विद्यापति के गीत मनोहर

घर-घर होते गुंजित

इसकी धूल हमारे मस्तक

का, प्रिय चंदन।

राजगीर की गिरि-माला में

ध्वनित शांति – संदेश

ज्ञान -कथा अब भी कहते हैं

नालंदा – अवशेष

सुरधनुषी त्योहार हमारे

हैं आनंदन।

आलोकित अपना अतीत है

स्वर्णिम, गौरवशाली

कर्मवान है वर्तमान नित

फैलेगी खुशहाली

नव विकास, उत्साह नवल है

प्रमुदित जन-मन !

भारत का प्यारा प्रदेश यह

सीता का नैहर है

मन से उदार , अपना बिहार

सजग, सहज सुंदर है

ऋतुओं का गायन-नर्तन है

इसके आंगन ।

इसको प्रनमन !

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रचनाकार

Author

  • डॉ रवीन्द्र उपाध्याय

    प्राचार्य (से.नि.),हिन्दी विभाग,बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर copyright@डॉ रवीन्द्र उपाध्याय इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है| इन रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है|

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