इज़हार-ए- मोहब्बत

इज़हार-ए- मोहब्बत

क्या हुआ…,

कुछ ख़बर नहीं !

दिल मेरा….,

अब इधर नहीं !

काम तो ये तेरी निगाहों का होगा…,

(क्योंकि….)

बाक़ी कोई और दवा…,

इधर करता असर नहीं !

मुझे तो तेरी मासूमियत ने लूटा..!

तू ये जानकर भी मिलती है मुझसे….,

कि जैसे… तुझे कुछ ख़बर नहीं !

अब तेरे सामने ये जो…

जुबां से ज्यादा मेरी निगाहें बोलने लगी है…..!

तू ही बता….!!

क्या ये.. ‘प्यार’ का असर नहीं…??

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रचनाकार

Author

  • आलोक कुमार

    You are rich in the talent of expression and deep understanding of scientific, socio-economic, political, historical and literary fields etc. Copyright@आलोक कुमार / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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