इज़हार-ए- मोहब्बत
क्या हुआ…,
कुछ ख़बर नहीं !
दिल मेरा….,
अब इधर नहीं !
काम तो ये तेरी निगाहों का होगा…,
(क्योंकि….)
बाक़ी कोई और दवा…,
इधर करता असर नहीं !
मुझे तो तेरी मासूमियत ने लूटा..!
तू ये जानकर भी मिलती है मुझसे….,
कि जैसे… तुझे कुछ ख़बर नहीं !
अब तेरे सामने ये जो…
जुबां से ज्यादा मेरी निगाहें बोलने लगी है…..!
तू ही बता….!!
क्या ये.. ‘प्यार’ का असर नहीं…??
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