पिया रंगे न मोरी चुनरिया
फागुन के दुख का, कहौं मैं सखी। पिया रंगे न मोरी चुनरिया हो।। बाली है मोरी उमरिया, रंग है गोरा कोरी चुनरिया, होली के –
फागुन के दुख का, कहौं मैं सखी। पिया रंगे न मोरी चुनरिया हो।। बाली है मोरी उमरिया, रंग है गोरा कोरी चुनरिया, होली के –
होली———————————————-१ बरस रहा है पिचकारी से, लाल गुलाबी रंग। रंग बिरंगी बौछारों से ,पुलक उठा हर अंग।। होली होली हुरयारों का ,गूँज रहा है शोर
नारी तू नारायणी, जग की तू आधार। तुझसे ही घर-बार, तुझसे ही संसार।। तू ही कमला, तू ही गौरी, तु ही चंडी-काली। तू ही माता
प्रगटे शंकर अविनाशी फिर झूम उठी है काशी बोले जय जय कैलाशी साँसों की सरगम हर हर शिव बम बम, हर हर शिव बम बम
युग युगों से हूँ बनी पहचान जग में प्रेम की, क्या हुआ यदि मैं नहीं कान्हा की परिणीता हुई। राम जिसके बिन कभी भी राम
कागज की नौका तैराती काँटो में फूल पिरोती है पूरा परिवार सुला कर वह रोती ज्यादा कम सोती है मच्छर भी कोई आ जाये तो
चलो नंदलाल के भवन में कान्हा संग खेलें होली। थोड़ी खेलेंगे हम होली, थोड़ी करेंगे ठिठोली —२सलाह करे आपस में मिलके सखियां सब भोली-भोली।चलो नंदलाल
गालों पर लगाके गुलाल,सब लोग हो गए लाल लाल,झुमों रे भैया होली है। झुमों रे भैया होली है,गाओ रे भैया होली है,नाचो रे भैया होली
फागुन का महिना आया रंगीला मौसम आया –२रंगीला मौसम आया होली का उत्सव लाया –२आज अवध में उत्सव मनाएं आओ खेलें होली –२खेलें होली सबमिल
भंग की तरंग में उमंग इठलाय रहीसा रा रा रा सा रा रा रा शोर चहुँओर है जाति सम्प्रदाय का कतहूँ भेद भाव नहींजित देखो