कविता

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बसंत जैसे मेरा प्रेम हो

बसंत ऋतु के आगमन परजैसे बगिया फूलों से महकजाती है,वैसे उन्हें देख मेरी पलकेंशर्माकर आँखों से चिपक जाती है। हरे भरे खेत में जैसे लहलहाती

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एकता और सद्भाव की टोली- होली

पलट के ना देखूँगी जो मुझे मिला नहीं,इस होली कोई शिकवा कोई गिला नहीं। छांछ और भांग का छायेगाजो खुमार,हंसी से लोट पोट हो जायेगा,होगा

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“मेरे आदर्श शिक्षक डॉ बसन्त कुमार झा”

“मेरे आदर्श शिक्षक डॉ बसन्त कुमार झा” आओ सुनाऊं, तुम्हे एक कहानी , बी.एड के बच्चों को दिलों में: तस्वीर है जिसकी जानी-मानी ॥ और

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होली का त्यौहार

होली का त्यौहार आया है खुशियों की सौगात अपने संग लाया है, रंगो की उड़ान लाया है, होली का त्यौहार आया है! स्नेह, भाईचारे की

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सावन के मेघ

आषाढ में लगी थी सावन की आस सावन के आगमन के बाद प्रत्येक बादल में बारिश का मात्र भास गर्मी ने बढ़ा दी ठंडक की

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गाँव बन गया है ग्लोबल

गाँव में अब नहीं दिखते गाय, भैंस, बैल-गाड़ी सब कालातीत हो गए हैं दिखते हैं झुंड में कुत्ते रात-बेरात भौंकते, रोते हुए गाँव बन गया

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निगाहें ऐसी डालो

निगाहे ऐसी डालो तुम कि दिल शीतल सा हो जाएभरे दिल प्रेम जीवन में सदा खुशियां बिखर जाएंरहे सब ही सुरक्षित इन निगाहों के ही

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