कविता

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होली आई

होली आई होली आई ,रंगों की बहार है लाई।होली आई होली आई ।।रंग – बिरंगे गुलालों के संग,मिलकर हम सब हमजोली ।स्नेह और सौहार्द के

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फागुन आ गया

देखो तो कैसे ….इठलाता हुआ सा जा रहा है –बसंत,और –आ रहा है मदमस्त हवाओं संगफागुन ….धीरे धीरे ,जहाँ पेड़ों पर फूट रही हैं ,कोपलें

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ऋतु राज वसंत

हो गया है आगमन इस वसुधा पर मदमस्त ऋतु -ऋतु राज वसंत का , करने को स्वागत ऋतु राज वसंत की सज गई है पर्ण

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फागुन

सरसों फ़ूली ,अमवा बौराये छाई हर ओर उमंग,इत-उत झूम-झूम केगा रहें मकरंद।रोम -रोम केसर घुलीचन्दन महके अंग,आया महोत्सव फाग कासब मिल खेले रंग।।आया फागुन मतवालासब

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बचपन की होली

कहाँ गये वो दिन जबघर घर होली थी,केमिकल का भयनहीं मन में होली थी। सन्नाटो का काम नहीं,हुड़दंगों की होली थी।मनमुटाव का कोई नामनहीं,भलेचंगो की

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बसंत जैसे मेरा प्रेम हो

बसंत ऋतु के आगमन परजैसे बगिया फूलों से महकजाती है,वैसे उन्हें देख मेरी पलकेंशर्माकर आँखों से चिपक जाती है। हरे भरे खेत में जैसे लहलहाती

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एकता और सद्भाव की टोली- होली

पलट के ना देखूँगी जो मुझे मिला नहीं,इस होली कोई शिकवा कोई गिला नहीं। छांछ और भांग का छायेगाजो खुमार,हंसी से लोट पोट हो जायेगा,होगा

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“मेरे आदर्श शिक्षक डॉ बसन्त कुमार झा”

“मेरे आदर्श शिक्षक डॉ बसन्त कुमार झा” आओ सुनाऊं, तुम्हे एक कहानी , बी.एड के बच्चों को दिलों में: तस्वीर है जिसकी जानी-मानी ॥ और

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होली का त्यौहार

होली का त्यौहार आया है खुशियों की सौगात अपने संग लाया है, रंगो की उड़ान लाया है, होली का त्यौहार आया है! स्नेह, भाईचारे की

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